सफाईः दवा विवाद पर बोले बालकृष्ण, ट्रायल से पहले नही कहा कोरोना की दवा है कोरोनिल

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हाल ही में बाबा राम देव की पतंजलि द्वारा लॉन्च की गई कोरोनिल औषधि को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पतंजलि आयुर्वेद ने राजस्थान की जिस निम्स यूनिवर्सिटी में औषधि के क्लिनिकल ट्रायल किए जाने का दावा किया था, वह भी इससे पलट गई है। इस बीच आचार्य बालकृष्ण ने सफाई दी है कि उन्होंने क्लिनिकल ट्रायल से पहले कोरोनिल को कभी कोरोना की दवा नहीं कहा।

देहरादूनः पतंजलि द्वारा लॉन्च कोरोनिल औषधि को लेकर विवाद थमता नहीं दिख रहा है। पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ और स्वामी रामदेव के करीबी आचार्य बालकृष्ण ने सफाई दी है कि उन्होंने क्लिनिकल ट्रायल से पहले कोरोनिल को कभी कोरोना की दवा नहीं कहा। दरअसल पतंजलि आयुर्वेद ने राजस्थान की जिस निम्स यूनिवर्सिटी में औषधि के क्लिनिकल ट्रायल किए जाने का दावा किया था, वह भी इससे पलट गई है।

आचार्य बालकृष्ण ने सोशल मीडिया के जरिए कोरोनिल पर सफाई दी। उन्होंने एक के बाद एक किए कई ट्वीट्स में कोरोनिल को लेकर पैदा हुए विवाद पर पूरी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने लिखा कि निम्स यूनिवर्सिटी में कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर श्वासारी वटी और अणु तेल के साथ अश्वगंधा, गिलोय घनवटी और तुलसी घनवटी के घनसत्वों से बनी औषधियों का निर्धारित मात्रा में सफल क्लिनिकल ट्रायल किया गया। इसके बाद औषधि प्रयोग के रिजल्ट्स को 23 जून 2020 को सार्वजनिक किया गया। पतंजलि ने इन तीन मुख्य जड़ी-बूटियों अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी के घनसत्वों के संतुलित मिश्रण वाली इस कोरोनिल औषधि का कानून के मुताबिक रजिस्ट्रेशन कराया है।

  • हाइलाइट्स
  • आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि ट्रायल से पहले कोरोनिल को कभी कोरोना की दवा नहीं कहा
  • जिस निम्स यूनिवर्सिटी में औषधि के क्लिनिकल ट्रायल किए जाने का दावा किया था वह भी इससे पलट गई है
  • बालकृष्ण ने कोरोनिल पर पैदा हुए विवाद के बाद फेसबुक और ट्विटर पर सफाई दी

आचार्य का दावा, ट्रायल से पहले नही कहा कोरोना की दवा
उन्होंने आगे कहा कि पतंजलि ने क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल पूरा होने से पहले कोरोनिल टैबलेट को क्लिनिकली और लीगली कोरोना की दवा कभी भी नहीं कहा। इस CTRI रजिस्टर्ड क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल को लेकर विवाद की कोई गुंजाइश नहीं है। हमें सम्पूर्ण मानवता को इस कोरोना संकट से बाहर निकालने में संगठित रूप से मदद करने के लिए आगे आना चाहिए।

ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी ने भी खींचे हाथ, दबाव में पतंजलि
इसके अलावा उत्तराखंड आयुर्वेदिक ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी ने बताया कि बाबा रामदेव ने जो लाइसेंस लिया था, वह इम्युनिटी बूस्टर के नाम पर लिया था न कि कोरोना की दवा के नाम पर। इसके बाद और हंगामा मच गया। हालांकि बालकृष्ण के ताजा बयान से साफ है कि चौतरफा विवाद के बाद कहीं न कहीं पतंजलि भी अब दबाव में है।

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