नैनीतालः हाल ही में बाबा रामदेव द्वारा लांच की गई कोरोनिल दवा के खिलाफ दायर याचिक नैनीताल हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट में गलत तथ्य रखे जाने पर अदालत ने याचिकाकर्ता पर 25 हजार रूपये का अर्थदंड लगाया। इस दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को एक सप्ताह के भीतर एडवोकेट वेलफेयर फंड में जुर्माने की जमा करने के आदेश दिये। अदालत ने कहा कि ऐसे आधारहीन और गलत तथ्यों से कोर्ट का समय खराब होता है।
नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के अधिवक्ता मनि कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण अपनी दवा का भ्रामक प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने ने दावा किया कि यह दवा न ही आईसीएमआर से प्रमाणित है और ना ही इनके पास इसे बनाने का लाइसेंस है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि दवा का अभी तक कोई क्लिनिकल परीक्षण भी नहीं किया गया। लिहाजा दवा पर पूर्ण रोक लगनी चाहिए।
याचिका में कहा गया था कि बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी ने ऐसी किसी दवा बनाने के लिए न तो आयुष मंत्रालय भारत सरकार से अनुमति नहीं ली और न ही आयुष विभाग उत्तराखंड में दवा बनाने के लिए आवेदन किया। याचिकाकर्ता का आरोप था कि पतंजलि ने जो आवेदन किया, वह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए था। लेकिन इसकी आड़ में बाबा रामदेव ने कोरोनिल दवा का निर्माण किया।