चंबा टनल में पड़ी दरारें, आंखें मूंदे बैठे हैं जिम्मेदार, खौफजदा लोगों ने की जांच की मांग

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टिहरी। ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत टिहरी जिले के चंबा शहर में ऑस्ट्रेलियन टेक्नोलॉजी मेथड से 440 लंबी सुरंग बनाई गई है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क पर बनने वाली यह सबसे बड़ी सुरंग है। इस टनल को गंगोत्री-यमुनोत्री की यात्रा पर आने-जानेवाले पर्यटकों के लिए बनाया गया है, ताकि इस टनल से सीधे गंगोत्री-यमुनोत्री जाने वाले यात्री बिना जाम के आ-जा सके। लेकन क्या हो जब लोगों की सुविधा देने के लिए बनाई गई यही टनल जान पर खतरा बन जाए।

दरअसल,  उत्तराखंड के सबसे बड़े टनल में आई दरारों से चंबा शहर पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। टनल में कई जगहों पर दरारें पड़ गई हैं, जिससे चंबा के लोग खौफजदा हैं। स्थानीयों ने इसकी जांच भू-वैज्ञानिकों से कराने की मांग की है। वहीं, टनल में आई दरार के बावजूद बीआरओ और निर्माणदायी कंपनी ने अभी तक संज्ञान नहीं लिया है।

टनल के ऊपर बसा है चंबा शहर

ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग 94 पर बनी पहली टनल में कई जगहों पर दरार पड़ने से चंबा शहर वासियों में डर का माहौल है। बता दें कि इस टनल के ऊपर चंबा शहर बसा हुआ है। जहां पर करीब 5 हजार से अधिक आबादी रहती है। इस टनल में दरार पड़नेसे हजारों लोगों की जान खतरे की जद में आनेकी आशंका बनी गई है।

टनल में घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल

सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीयों का आरोप है कि इस टनल में घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया, जिसके चलते टनल में दरारें आ गई है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन से इस टनल की जांच भूगर्भ वैज्ञानिकों से कराने की मांग की है।

स्थानीयों ने किया था टनल का विरोध

टिहरी जिले के चंबा के पास बीआरओ द्वारा चंबा के मंजयूड गांव से गोल्डी गांव तक 440 मीटर लंबी टनल बनाई गई है। ताकि टनल से सीधे गंगोत्री-यमुनोत्री जाने वाले यात्री बिना जाम के आ-जा सके।  चंबा वासियों ने कई बार इस टनल का विरोध भी किया था। स्थानीयों का कहना था कि इस टनल को चंबा शहर के नीचे बनाने के बजाय दूसरी जगह से बनाया जाए, ताकि चंबा शहर सुरक्षित रह सके। उनका कहना है कि आज चंबा शहर वासियों की बात सत्य होती नजर आ रही है। यह टनल चंबा शहर के नीचे से बनाई गई है, जिसमें कई जगहों पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं।

आंखें मूंदे बैठे हैं जिम्मेदार

आश्चर्य की बात है टनल में दरार पड़ने के बाद भी अभी तक न तो बीआरओ के अधिकारी पहुंचे और न ही इस टनल निर्माणदायी कंपनी भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी पहुंची है, जबकि निर्माण कार्य करते समय यह अनुबंध हुआ था कि 3 साल तक टनल मेंकिसी भी तरह की कोई दिक्कत या नुकसान होगा तो, उसकी भरपाई निर्माणदायी कंपनी करेगी, लेकिन अभी तक भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इन दरारों का कोई भी संज्ञान नहीं लिया है।

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