धामी सरकार 2.0 का एक साल पूरा, जानिए CM धामी के बड़े फैसले, क्या रहीं चुनौतियां

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार आज दूसरा कार्यकाल का एक साल आज पूरा हो रहा है। इस एक साल में धामी सरकार ने नकल विरोधी कानून, धर्मांतरण, महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण देने जैसे तमाम चुनावी दावों को पूरा करने में कामयाब रही है। साथ ही यह संदेश देने का प्रयास रहा कि सरकार जो कहती है, उसे धरातल पर उतारती है। वहीं, धामी सरकार का दावा है कि उत्त राखंड को आने वाले वर्ष 2025 तक देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाएंगे, इसके लिए पूरे जी जान से सरकार लगी हुई है।

 

सीट हार कर भी बने थे मुख्यमंत्री

बता दें कि मुख्यीमंत्री पुष्कर धामी के नेतृत्व में पिछले साल भाजपा चुनावी मैदान में थी। इस दौरान भाजपा ने 70 विधानसभा सीटों में दो तिहाई बहुमत के साथ 47 सीटों पर अपना कब्जाक जमाया। हालांकि, इस चुनाव में सीएम पुष्केर सिंह धामी ने अपनी खुद की सीट गंवा दी थी। तमाम अड़चनों के बीच पुष्कार सिंह धामी ने 23 मार्च 2022 को उत्तरराखंड के सीएम पद की शपथ ली थी। उनके साथ आठ मंत्रियों ने भी शपथ ली थी।

 

अवसर को समझा चुनौती

केंद्रीय नेतृत्व ने पुष्कर सिंह धामी को फिर से अवसर दिया और मुख्यमंत्री धामी ने इसे न केवल चुनौती के रूप में लिया, बल्कि एक के बाद एक बड़े निर्णय लेकर अपने चयन को सही साबित करने का प्रयास किया। यद्यपि, पिछले लगभग आठ माह के दौरान भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी के मामले सामने अवश्य आए, लेकिन सरकार ने बिना किसी कालखंड को देखे त्वरित निर्णय लेकर संदेश दिया कि वह युवाओं के हितों पर किसी तरह का कुठाराघात नहीं होने देगी। एक साल के कार्यकाल में अभी तक धामी सरकार ने सभी वर्गों व क्षेत्रों को ध्यान में रखकर निर्णय लिए हैं।

 

यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का फैसला

उत्त्राखंड में जैसे ही धामी सरकार बनी अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) लागू करने का फैसला किया। इसके बाद ही लगने लगा कि धामी सरकार चुनावी वादों को साकार करने के लिए आगे भी बड़ा कदम उठाती रहेगी। इसके बाद यूसीसी को लागू कराने के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई गई। वहीं, भ्रष्टाचार पर लगाम लागने के लिए भ्रष्टाचार मुक्त ऐप-1064 को लॉन्चा किया।

 

कमेटी का गठन

कमेटी ने राज्य के सभी वर्गों से ऑनलाइन-ऑफलाइन समेत अन्य माध्यमों से सुझाव लिए हैं। तीन लाख से ज्यादा सुझाव कमेटी को मिले हैं, जिनका परीक्षण चल रहा है। इसी के चलते कमेटी का कार्यकाल छह माह बढ़ाया गया। उम्मीद है कि मई-जून तक कमेटी ड्राफ्ट को सरकार को सौंप देगी। यही नहीं, राज्य से प्रेरणा लेकर गुजरात ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने के दृष्टिगत कमेटी का गठन किया है।

 

धर्म स्वतंत्रता कानून में संशोधन

बदली परिस्थितियों में देवभूमि में जबरन मतांतरण पर अंकुश लगाने को धामी सरकार ने धर्म स्वतंत्रता कानून में संशोधन कर इसे सख्त बनाया है। इसमें जबरन मतांतरण के मामलों में 10 वर्ष की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रविधान किया गया है। साथ ही इसे गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसके पीछे सरकार की मंशा यही है कि बाहर से यहां आकर अवांछनीय गतिविधियों में संलिप्त तत्वों पर प्रभावी ढंग से अंकुश लग सके।

 

सख्त नकलरोधी कानून

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण से शुरू हुआ भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी का मामला पिछले कुछ माह से सुर्खियों में है। एक के बाद एक परीक्षाओं में धांधली की शिकायतें आई हैं। यद्यपि, ये मामले सामने आते ही सरकार ने इनकी जांच को कदम उठाए, अब तक कई लोग जेल की सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं।

 

उम्र कैद की सजा का प्रावधान

साथ ही भविष्य में भर्ती परीक्षाओं में युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो, इसके लिए सरकार सख्त नकलरोधी कानून लेकर आई है। इसे देश का सबसे कड़ा नकलरोधी कानून बताया जा रहा है। इसमें 10 करोड़ तक का जुर्माना व उम्र कैद की की सजा के साथ ही कई प्रविधान किए गए हैं।

 

महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण

यह किसी से छिपा नहीं है कि राज्य निर्माण में यहां की मातृशक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज्य गठन के बाद भी मातृशक्ति राज्य के विकास में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही है। विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में तो महिलाओं को वहां के विकास की रीढ़ कहा जाता है। इस सबको देखते हुए धामी सरकार ने राज्याधीन सेवाओं में यहां की महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था को फिर लागू किया है। अब इसे कानूनी दायरे में लाया गया है।

भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस

भाजपा सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस की नीति अपनाई है। मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर 1064 एप लांच किया गया है। इसके माध्यम से आई शिकायतों पर कार्रवाई की जा रही है। अब तक आय से अधिक संपत्ति, वित्तीय अनियमितता समेत अन्य गड़बड़ी की शिकायतों पर चार नौकरशाह निलंबित किए गए, जबकि आठ जेल में हैं।

 

आंदोलनकारियों के लिए क्षैतिज आरक्षण

उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था को भी धामी सरकार ने फिर से लागू किया है। इसे लेकर लंबे समय से मांग की जा रही थी, जिसे सरकार ने सहर्ष स्वीकारा है।

 

लखपति बनाने की पहल शुरू

साल 2025 तक लखपती दीदी योजना के तहत प्रदेश की 1.25 लाख महिलाओं को लखपति बनाने की पहल की गई। राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसदी आरक्षण दिया गया। वहीं, वोकल फॉर लोकल के तहत स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक जिला दो उत्पाद योजना लागू की गई। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में सब्सिडी बढ़ाकर 40 फीसदी की राहत दी गई।

 

ये भी लिए गए निर्णय

  • केदारनाथ व बदरीनाथ की तर्ज पर मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत कुमाऊं के पौराणिक व प्राचीन मंदिरों का विकास।
  • गढ़वाल मंडल मुख्यालय पौड़ी को उसके अतीत के अनुरूप विकसित करने के साथ ही वहां मंडलीय अधिकारियों के नियमित बैठने की व्यवस्था।
  • राज्य के सकल घरेलू उत्पाद को पांच साल में दोगुना करने के मद्देनजर वैश्विक एजेंसी की मदद।
  • प्राथमिक क्षेत्र में कृषि व औद्यानिकी के लिए ठीकठाक बजट का प्रविधान।
  • मिशन मायापुरी के तहत हरिद्वार को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी व आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को बुनियादी ढांचे का निर्माण।
  • वृद्धावस्था, निराश्रित विधवा व दिव्यांग पेंशन में बढ़ोत्तरी, पति-पत्नी दोनों को पेंशन का लाभ देने का निर्णय।
  • कमजोर वर्ग के परिवारों को एक साल में तीन रसोई गैस सिलिंडर मुफत देने की व्यवस्था।
  • महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष कोष गठित करने का निर्णय

 

ये थीं चुनौतियां

हालांकि, इस एक साल में सीएम धामी को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। अंकिता भंडारी हत्याककांड में विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की। वहीं, पेपर लीक मामले में भी छात्रों के बड़े आंदोलन से सरकार पर निशाना साधा गया था।

राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए शुरू की गई कसरत हो अथवा जबरन मतांतरण पर रोक के लिए कानून में सख्त बदलाव या फिर भर्ती परीक्षाओं की शुचिता के लिए सख्त नकलरोधी कानून। ये ऐसे निर्णय हैं, जिनके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। यही नहीं, राज्याधीन सेवाओं में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण, राज्य निर्माण आंदोलनकारियों के लिए सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण जैसे कई बड़े निर्णय भी सरकार ने लिए हैं।

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