ये ऐतिहासिक क्षण है, दिवाली नजदीक है, ऐसा लग रहा है जैसे त्रेता के राम आये हों। प्रतापनगर में जश्न का माहौल है। डोबरा-चांठी पुल जैसे रामसेतु का अहसास दिला रहा है। यह कोई वर्षों बाद किसी तंद्रा का टूटने का अहसास है, अचानक…छन्न से, जैसे घोर निंद्रा में प्रतापनगर कोई दुस्वप्न देख रखा था। कि एकाएक सारी पीड़ा एक झटके में खत्म, कितना मीठा अहसास है….बयां करना कठिन है। 14 वर्ष…..कम नहीं होते, सिर्फ राम ही जानते हैं या फिर प्रतापनगर के लोग, कि वनवास भोगना कितना कठिन है। कितनी पीड़ा सहनी पड़ती है, जिसका कोई हिसाब नहीं। लेकिन कहते हैं न एक दिन अंधेरा छंट जाता है और नये सवेरे का उदय होता है। आज सच में अहसास हो रहा है, 14 साल बाद प्रतापनगर का सूर्योदय हुआ है। डोबरा-चांठी पुल प्रतापनगर के लिए सूर्य के सात अश्वों से युक्त रथ जैसा है। 14 साल अब विकास की रेस में प्रतापनगर भी शामिल होगा। अब उन सपनों को पूरा किया जायेगा जो 14 साल में कहीं पीछे छूट गये। प्रतापनगर में आज जश्न का माहौल है मानो दिवाली सप्ताह भर पहले दस्तक दे गई है।
प्रतापनगर: विशाल टिहरी झील के ऊपर नव निर्मित देश के सबसे लंबे डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज का उद्घाटन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया।मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि राज्य स्थापना दिवस और दीपावली का प्रतापनगर की जनता को यह सबसे बड़ा तोहफा है। उन्होंने कहा कि डोबरा पुल सिर्फ प्रतापनगर के लिए नहीं बल्कि यह पूरे प्रदेश में पर्यटन की नई परिभाषा है। इससे दुनिया भर के पर्यटक यहां आएंगे और डोबरा नया पर्यटक स्थल बनेगा। सीएम ने कहा कि आईटीबीपी जल्द ही झील में वाटर स्पोर्ट्स की गतिविधियां शुरू करेगी। इस मौके पर उन्होंने इंटर कॉलेज मांजफ के राजकीयकरण करने की घोषणा भी की।
भावुक क्षण था टिहरी का डूबना : सीएम
सीएम ने कहा कि टिहरी झील बनते समय मैने गांवों को डूबते हुए भी देखा, जिस दिन कंडल गांव डूब रहा था उस दिन मैं स्वयं वही था। बड़ा भावुक क्षण था। पुरखों से विरासत में मिली परिसंपत्तियां, मकान और खेतों को डूबता देख हर किसी के आंखों में आंसू थे। सरकार बांध प्रभावितों के आंसू पौछने का काम कर रही है।
दूर होंगी मुश्किलें
डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज बनने से करीब ढाई लाख की आबादी की मुश्किलें कम हो जाएंगी। पहले जहां प्रतापनगर के लोगों को नई टिहरी बाजार पहुंचने में करीब चार से पांच घंटे लगते थे, लेकिन अब पुल के बनने के बाद ये दूरी घटकर सिर्फ डेढ़ से दो घंटे रह जाएगी। इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के हालातों में भी सुधार होगा।
खत्म हो गई थी उम्मीदें
डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण वर्ष 2006 में शुरू हुआ था, लेकिन लापरवाही और तकनीकी कमी के चलते पुल का डिजायन फेल हो गया। इस कारण वर्ष 2010 में पुल का काम बंद करना पड़ा। तब तक पुल निर्माण पर 1.35 अरब की रकम खर्च हो चुकी थी। इसके बाद वर्ष उत्तराखंड सरकार ने पुल का नया डिजायन बनाने के लिए अंतराष्ट्रीय टेंडर किए। जिसके बाद दक्षिण कोरिया की कंपनी योसीन ने पुल का नया डिजायन बनाया और लोनिवि निर्माण खंड ने 1.35 अरब की लागत से 2016 में दोबारा निर्माण कार्य शुरू किय गया और अब पुल बन गया है। 725 मीटर लम्बे इस पुल का सस्पेंशन ब्रिज 440 मीटर लंबा है, जबकि 260 मीटर आरसीसी डोबरा क्षेत्र की ओर और 25 मीटर स्टील गार्डर चांठी की ओर है। इस पर 15 टन तक भारी वाहन गुजर सकते हैं। इस पुल से प्रतापनगर क्षेत्र की करीब ढ़ाई लाख की आबादी को लाभ मिलेगा।
प्रतापनगर के लिए अहम है पुल
बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर और उत्तरकाशी जिले के गाजणा क्षेत्र की एक बड़ी आबादी को जोड़ने वाले डोबरा-चांठी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है। इसमें सस्पेंशन ब्रिज 440 मीटर लंबा है। इसमें 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड और 25 मीटर स्टील गार्डर चांठी साइड है। इस पुल की कुल चैड़ाई सात मीटर है, जिसमें मोटर मार्ग की चैड़ाई साढ़े पांच मीटर है, जबकि फुटपाथ की चैड़ाई 0.75 मीटर है।