कोरोना महामारी के चलते इस बार प्रदेश में चार धाम यात्रा पूरी तरह ठप पड़ गई है। चारों धामों में स्थानीय लोगों को छोड़ कर किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है। इस बार चारों धाम वीरान नजर आ रहे हैं। वहीं हेमकुंड साहिब के कपाट खोले जाने को लेकर भी संशय बरक़रार है। हेमकुंड अभी भी बर्फ से लकदक है।
जोशीमठः इस साल हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने पर संशय बना हुआ है। हेमकुंड साहिब में अभी भी पांच फीट तक बर्फ जमी है। क्षेत्र का जायजा लेने गए हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के दल ने यह जानकारी दी है। माना जा रहा है कि अगर जुलाई के अंत तक कपाट नहीं खुले तो अगस्त में सप्तश्रृंग पर्वत पर लगाए गए निशान साहिब को बदला जाएगा। बता दें कि निशान बदलने की यह परंपरा हर साल होती है।
कोरोना महामारी के चलते अन्य धामों के कपाट देर से ही सही लेकिन खुल गए हैं। हालांकि अभी तक यात्रियों को वहां तक जाने की इजाजत नहीं मिली है। लेकिन सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित सिखों के पवित्र तीर्थ हेमकुंड साहिब के कपाट अभी तक नहीं खुल पाए हैं।
हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के प्रबंधक सेवा सिंह ने बताया कि हेमकुंड में पवित्र हिमसरोवर अभी भी पूरी तरह से जमा हुआ है। अटलाकोटी में 20 फीट ऊंचा हिमखंड अभी आस्था पथ पर है। जब तक बर्फ नहीं हटती है तब तक यात्रा शुरू करना संभव भी नहीं है। कहा कि कपाट खोले जाने को लेकर सरकार की गाइडलाइन आने के बाद ही ट्रस्ट की ओर से कपाट खोलने की नई तिथि घोषित की जाएगी।