पहली बार बिजली की रोशनी से जगमगाएंगे उत्तराखंड के यह गांव

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धारचूला। दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक पिथौरागढ़ में स्थित दारमा वैली भी है, जहां का हिमालयी इलाका लोगों को खूब पसंद आता है। यह दिन में जितनी खूबसूरत दिखती है, तो वहीं यहां रात आज भी काली ही है। लेकिन अब जल्द ही दारमा घाटी का अंधायार दूर होने वाला है।

आपको बता दें कि व्यास घाटी के करीब डेढ़ दर्जन और दारमा घाटी के एक दर्जन से अधिक गांवों में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है। यहां बिजली सिर्फ सोलर ऊर्जा पर ही निर्भर है। लेकिन आजादी के बाद कई दशकों तक विकास के मामले में पीछे छूट गई चीन सीमा से लगे गांवों में अब विकास को पंख लग रहे हैं। सीमा के गांवों को वाइब्रेंट विलेज का दर्जा मिलने के साथ ही यहां सभी आधारभूत सुविधायें तेजी से बढ़ाई जा रही है। धारचूला की व्यांस और दारमा घाटी के गांवों को नेशनल ग्रिड से जोड़ने के कार्य को स्वीकृति मिली है। इसके लिए 85 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत हुई है। लाइन बिछाने के लिए टेंडर आमंत्रित कर लिया गया था, लेकिन आचार संहिता के चलते अभी इसे खोला नहीं गया है। आचार संहिता खत्म होते ही लाइन बिछाने का कार्य शुरू हो जायेगा।

नेशनल ग्रिड से जोडने के लिए तवाघाट से गुंजी तक 33 केवी की लाइन बिछाई जायेगी, जो लगभग 65 किमी. लंबी होगी। गुंजी से कालापानी, कुटी के लिए 11 केवी की लाइन का प्रस्ताव बनाया गया है। इसी तरह दारमा घाटी के लिए सीपू, मार्छा तक 11 केवी की लाइन बिछाई जायेगी। लाइन बिछाने का कार्य इसी वर्ष के अंत तक पूरा कर लिये जाने का लक्ष्य रखा गया है।

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