देहरादूनः किसानों की सहूलियत के लिए उत्तराखंड सरकार ने भी केंद्र सरकार की तर्ज पर विधानसभा में कृषि सुधार विधेयक प्रस्तुत किया। जिसे सदन में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है। त्रिवेंद्र सरकार द्वारा इस विधेयक में किसानों को अपनी कृषि उपज को कभी भी और कहीं भी बेचने की आजादी है। इसके साथ ही संविदा खेती को इस विधेयक के माध्यम से कानूनीजामा पहनाया गया है। साथ ही सरकार ने मानसून सत्र में उत्तराखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (प्रोत्साहन एवं सुविधा) व उत्तराखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन संविदा खेती और सेवाएं (प्रोत्साहन एवं सुविधा) विधेयक पारित कराए।
अपनी उपज कहीं भी बेच सकेगा किसान
उत्तराखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (प्रोत्साहन एवं सुविधा) के अधिनियम बन जाने के बाद राज्य में कृषि उपज और पशुधन को भौगोलिक दृष्टि से बाधामुक्त व्यापारिक लेन-देन की आजादी मिल जाएगी। यानी किसान अपनी उपज को कहीं भी बेचने को स्वतंत्र होंगे। इसके साथ ही नवीन तकनीकी को अपनाकर व्यापारिक गतिविधियों और मूल्य निर्धारण तंत्र में पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर दिया गया है। प्रतिस्पर्धात्मक विपणन, कृषि प्रसंस्करण और विपणन अवसंरचनाओं के विकास के लिए निवेश को प्रोत्साहित भी किया जाएगा। जगह-जगह मंडियों की स्थापना, ई-व्यापार, व्यापार का विनियमन, राज्य कृषि विपणन बोर्ड का गठन जैसे अन्य कई कदम उठाए गए हैं। सदन से पारित उत्तराखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन संविदा खेती और सेवाएं (प्रोत्साहन एवं सुविधा) विधेयक के अधिनियम बनने पर सूबे में संविदा खेती को बढ़ावा मिलेगा।
लीज पर कर सकेंगे खेती
अब अगर खेत और बागान दूसरों को कृषि और बागवानी के लिए दिए जाते हैं तो इसे कानूनीजामा पहनाया जाएगा। बंजर हो चुकी कृषि भूमि को भी लीज पर सामूहिक खेती को दिया जा सकेगा। साथ ही क्लस्टर आधार पर सामूहिक खेती के लिए खेत लीज पर दिए जा सकेंगे। संविदा खेती के लिए करार करने वाले व्यक्तियों, फार्मों द्वारा किसानों को खाद-बीज समेत अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।