गंगा विवादः त्रिवेंद्र सरकार का बड़ा फैसला, ‘देवधारा’ होगा हर की पैडी स्केप चैनल का नाम

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धर्म नगरी हरिद्वार में हर की पैडी से गुजरने वाली गंगा नहर पर छिड़ा विवाद समाप्त हो गया है। त्रिवेंद्र सरकार ने हर की पैड़ी से गुजरने वाली नहर को गंगा की ‘देवधारा’ घोषित करने का फैसला लिया है। इस बात की जानकारी सरकार के शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने दी। दरअसल हरीश रावत सरकार ने हर की पैडी से गुजरने वाली गंगा की धारा को नहर घोषित किया था। जिसका प्रदेश में खूब विरोध हुआ। हाल के दिनों में हरीश रावत ने हरिद्वार जाकर अपनी गलती के लिए सार्वजनिक माफी मांगी और गेंद त्रिवेंद्र सरकार के पाले में डाल दी।

हरिद्वारः करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक हर की पैड़ी से होकर बहने वाली गंगा नहर को प्रदेश सरकार ने गंगा की देवधारा घोषित करने का फैसला लिया है। सरकार का कहना है कि इसके लिए वह सभी ऐतिहासिक साक्ष्य जुटायेगी। संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि सरकार इसके लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाने को भी तैयार है और अगर जरूरत पड़ी तो अध्यादेश भी लाया जायेगा।

  • हाइलाइट्स
  • त्रिवेंद्र सरकार का बड़ा फैसला
  • हर की पैडी विवाद होगा खत्म
  • हर की पैडी में बहने वाली नहर ‘देवधारा’ घोषित
  • हरीश रावत सरकार ने ‘स्केप चैनल’ किया था घोषित
  • हरीश रावत ने अपने फैसले को ठहराया था गलत
  • संत समाज से मांगी थी माफी

हरीश सरकार ने दिया था नहर का दर्जा
हर की पैडी से होकर बहने वाली गंगा की धारा को वर्ष 2016 में हरीश रावत सरकार ने नहर (स्केप चैनल) घोषित किया था। हरीश सरकार के इस फैसले को आस्था के साथ खिलावाड बताया कर अखाडा परिषद सहित संत समाज ने इसका खूब विरोध किया। चार साल बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने खुद आगे आ कर अपनी सरकार के आदेश को गलत ठहराया। हरीश रावत ने हरिद्वार पहुंच कर संतो के बीच इस पर माफी मांगी, जिसके बाद यह मामला फिर उठ खड़ा हुआ।

सरकार ने लिया फैसला
संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता हुई बैठक में हर की पैडी को लेकर फैसला लिया गया। इसमें तय किया गया कि वर्ष 2016 में हरीश रावत सरकार द्वारा जारी शासनादेश को पलटा जाय। शासकी प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि एतिहासिक तथ्यों पर अगर नजर दौड़ायें तो वर्ष 1916 में मदन मोहन मालवीय और गंगा सभा हरिद्वार के बीच एक समझौता हुआ। जिसमें हर की पैड़ी से बहने वाली धारा को गंगा ही कहा गया है। ऐसे में यह कोई स्केप चैनल नहीं है बल्कि गंगा की एक धारा है।

जरूरत पड़ी तो लायेंगे अध्यादेश
मदन कौशिक ने इस दौरान कहा कि कानूनी समस्या का समाधान करने के लिए अगर जरूरत पड़ेगी तो संबंधित कानूनों में संशोधन किया जाएगा। अगर सरकार को लगे कि अध्यादेश लाना जरूरी है तो फिर अध्यादेश भी लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार इकसे लिए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए भी तैयार है।

पेचिदा है मामला
दरअसल इस पूरे प्रकरण में एनजीटी के आदेश का पेंच है। जिसके चलते हर की पैड़ी से होकर बह रही गंगा के किनारे होटल, आश्रम आदि के निर्माण गैर कानूनी है। एनजीटी का आदेश था कि गंगा के किनारों के 200 मीटर के दायरे में निर्माण को हटाया जाए। हरीश रावत की सरकार ने इसे बचाने के लिए, गंगा की धारा को नहर घोषित किया था। इसी के लिए हरीश रावत ने अब संतों के बीच पहुंचकर माफी मांगी और कहा कि सरकार चाहे तो उनका यह फैसला पलट दे।

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