कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण निजी परिवहन ठप पड़ा है। ऐसे में परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोगों की आर्थिकी बुरी तरह चरमरा गई है। परिवहन संघों की मांग पर राज्य सरकार परिवहन चालकों परिचालकों को राहत देने के पक्ष में है। ऐसे में सरकार वाहन टैक्स को छह माह तक माफ करने का फैसला ले सकती है। इसके साथ ही वाहनों की आयुसीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी शासन स्तर पर गंभीरता से मंथन शुरू हो गया है।
देहरादूनः सचिव परिवहन शैलेश बगौली की अध्यक्षता में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में परिवहन चालक व परिचालक संघों की मांगपत्रों पर विचार विमर्श हुआ। सचिवालय में हुई इस बैठक में परिवहन आयुक्त कार्यालय के अधिकारी भी उपस्थित थे। बैठक में स्टेज कैरीज वेल्फेयर एसोसिएशन, उत्तराखंड परिवहन संघ व अन्य संगठनों के मांग पत्रों पर सिलसिलेवार चर्चा हुई।
संगठनों की ओर से परिवहन टैक्स को दो साल के लिए माफ कर करने की मांग पर विचार हुआ। सूत्रों के मुताबिक, इस मांग को अव्यवहारिक माना गया। अलबत्ता छह महीने का वाहन टैक्स माफ करने के प्रस्ताव पर जरूर विचार करने का निर्णय लिया गया। अधिकारियों का तर्क था की तीन महीने लॉकडाउन से परिवहन सेक्टर प्रभावित रहा और अगले तीन महीने मानसून की वजह से भी यह प्रभावित रहेगा। इस लिहाज से छह महीने के टैक्स में छूट के प्रस्ताव पर विचार हो सकता है। इस प्रस्ताव को मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
वाहनों के इंश्योरेंस शुल्क को एक साल के लिए माफ करने की मांग पर विचार हुआ कि यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है। इसलिए सचिव परिवहन ने इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथारिटी (आईआरडीए) को पत्र भेजने का निर्णय लिया। बैठक में वाहनों की आयुसीमा दो साल के लिए बढ़ाने की मांग पर भी विचार विमर्श हुआ।
इससे पूर्व उत्तराखंड परवहन संघ ने भी मुख्यमंत्री से यह मांग उठाई थी। इस मांग पर तय हुआ कि पहले न्यायालय में विचाराधीन मामलों का गहनता से परीक्षण करा लिया जाए। साथ ही इस मामले में विधिक राय लेने का भी फैसला हुआ। कोई कानूनी अड़चन न आने की स्थिति में ही परिवहन विभाग इस प्रस्ताव को शासन स्तर पर प्रस्तुत करेगा। बैठक में परिवहन आयुक्त दीपेंद्र चैधरी, उप परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह और देहरादून के आरटीओ उपस्थित थे।