हरिद्वार: अगले वर्ष हरिद्वार जनपद में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने की संभावना कम नजर आ रही है। दरअसल जनपद में नगर निकाय के उच्चीकरण व नए निकायों के गठन का असर त्रिस्तारीय पंचायत चुनावों पर पड़ रहा है। जिससे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आगे खिसक सकते हैं। पंचायतीराज विभाग ने निकायों के पुनर्गठन और उच्चीकरण को देखते हुए क्षेत्र व जिला पंचायत निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का काम रोक दिया है। ऐसे में पंचायत चुनाव में विलम्ब होने की प्रबल संभावना है।
मार्च में खत्म हो रहा पंचायतों का कार्यकाल
हरिद्वार में की 306 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 31 मार्च 2021 को खत्म हो रहा है, जबकि छह क्षेत्र पंचायतों व जिला पंचायत का कार्यकाल अप्रैल माह के पहले हफ्ते समाप्त हो रहा है। पंचायतों में चुनाव को देखते हुए पंचायतीराज विभाग की ओर से पंचायतों के निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन शुरू किया। पंचायतीराज विभाग ने जनपद के सभी ग्राम पंचायतों के निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन पूरा भी कर दिया है।
जनपद में गठित होंगे नए निकाय
पंचायतीराज विभाग जनपद में त्रिस्तरीय चुनाव कराने की पुरजोर कोशिश में जुटा था। इसके लिए विभाग ने नौ नवंबर से क्षेत्र व जिला पंचायतों का परिसीमन कार्य शुरू करना था कि इस बीच छह नवंबर को शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। बैठक में शहरी विकास मंत्री कौशिक ने बताया कि सरकार ने राज्य में नौ नगर निकायों के गठन के साथ ही कुछ निकायों के उच्चीकरण का फैसला कर लिया है। इसके तहत हरिद्वार जिले में नगर पंचायत भगवानपुर का उच्चीकरण किया जाना है, जबकि इमलीखेड़ा, रामपुर, पाडलीगुर्जर व ढंडेरा को नगर पंचायत बनाए जाने का प्रस्ताव है।
नए निकायों में शामिल होंगे गांव
नए निकायों के गठन और उच्चीकरण में कुछ गांवों को शामिल किया जायेगा। इन सबको देखते हुए पंचायतीराज विभाग ने हरिद्वार जिले में क्षेत्र व जिला पंचायत के निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का काम फिलहाल रोक दिया है। बताया गया कि शहरी विकास विभाग ने जिले में नए निकायों के गठन और उच्चीकरण के मामलों में कम से कम एक माह का वक्त लगने की संभावना जताई है। जाहिर है कि इससे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए परिसीमन के साथ ही अन्य प्रक्रियाएं भी आगे खिसकेंगी। ऐसे में पंचायत चुनाव निर्धारित समय पर हो पाएंगे, इसमें संदेह है।
क्या कहता है एक्ट
पंचायतीराज एक्ट के मुताबिक पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले चुनाव कराने आवश्यक हैं। हालांकि, विशेष परिस्थितियों में इसे आगे भी खिसकाया जा सकता है। हरिद्वार में जो परिस्थितियां बन रही हैं, वे इस तरफ इशारा कर रही हैं कि मार्च-अप्रैल में पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद वहां प्रशासक बैठाए जा सकते हैं। यानी, चुनाव अपै्रल के बाद होंगे। हालांकि, चुनाव कब होंगे, इसका फैसला सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को करना है, जिन पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।