उत्तराखंड में अबीर गुलाल का रंग बिरखना शुरू हो गया है। होली से पहले ही पहाड़ों में आपसी मेल मिलाप, रंग गुलाल खेलने और नाचने गाने की धूम हर तरफ देखी जा रही है। गढ़वाली गीत हों या कुमाउंनी, राधा कृष्ण के भजन हों या बृज के पारंपरिक गीत… महिलाएं अपने घरों की छतों और मंदिरों में होली मनाती हुई नज़र आ रही हैं।
होलिका दहन आज
आज होलिका दहन किया जाएगा और बुधवार को रंग खेला जाएगा। लेकिन होलिका दहन को लेकर बने असमंजस के बीच प्रदेश के कई इलाकों में सोमवार को भी होलिका दहन किया गया। वहीं, अधिकांश जगहों पर आज होलिका पूजन और दहन किया जाएगा। होलिका पूजन के लिए सुबह से ही महिलाएं पहुंचने लगी हैं।
दो घंटे का है मुहूर्त
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि का समापन सात मार्च को शाम 6.09 बजे तक होगा। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल में होलिका दहन होती है। सात मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त शाम 6:24 बजे से होगा जो रात 8.51 बजे तक होगा। होलिका दहन की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हरिद्वार में कई जगहों पर होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन के दो घंटे 27 मिनट के मुहूर्त में भद्रा का साया नहीं रहेगा। होलिका दहन के लिए शुभ समय प्रदोष काल होता है। शिव उपासना धर्मार्थ ट्रस्ट के संस्थापक निरंजनी अखाड़े के स्वामी रामभजन वन ने बताया, सात मार्च को होलिका दहन होगा। आठ मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी।