उत्तराखंड में पारा लुढ़कने के साथ ही बिजली की मांग में भी इजाफा हो गया है। बिजली की मांग रिकॉर्ड 48 मिलियन यूनिट यानि चार करोड़ 80 लाख यूनिट तक पहुंच गई है, जबकि इसके मुकाबले यूपीसीएल को केंद्रीय व राज्य पूल से महज 35 से 37 मिलियन यूनिट बिजली ही मिल पा रही है। इसके चलते राज्य में बिजली सप्लाई का सिस्टम गड़बड़ाने लगा है। उत्तराखंड में बिजली की मांग और आपूर्ति में अंतर आ नेके कारण शहरों में सुबह और शाम के समय दो से तीन घंटे तक की कटौती शुरू कर दी गई है। साथ ही मैदान के ग्रामीण क्षेत्रों में चार घंटे से अधिक की कटौती की जा रही है।
प्रदेश में ठंड बढ़ने के साथ ही भारी बिजली संकट पैदा हो गया है। बिजली की प्रतिदिन मांग रिकॉर्ड 48 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई है। भरपाई के लिए यूपीसीएल ने दो निदेशकों की टीम दिल्ली भेजी है जो कि एनटीपीसी से विशेष बिजली देने की मांग करेंगे। दरअसल, गैस व कोयले की कमी के चलते देशभर में बिजली की भारी कमी है। पिछले आठ दिनों में 250 मेगावाट ऑवर के मुकाबले 104 मेगावाट ऑवर बिजली ही बाजार में उपलब्ध हो पाई है। हालात यह हो गए हैं कि इंडियन एनर्जी एक्सचेंज में किसी भी कीमत पर बिजली ही उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
यूपीसीएल के मुताबिक, जो बिजली मिल भी रही है, वह 12 रुपये प्रति यूनिट की दर पर मिल मिल रही है। इतनी महंगी बिजली खरीदकर उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की बड़ी चुनौती बन गई है। इस वजह से यूपीसीएल ने ग्रामीण इलाकों में रोजाना तीन से पांच घंटे की बिजली कटौती शुरू कर दी है। ऊर्जा निगम प्रबंधन का कहना है कि अगर बिजली की किल्लत बढ़ती है और बाजार से उपलब्ध नहीं होती तो धीरे-धीरे कटौती को उद्योगों तक पहुंचाना पड़ेगा।