रूद्रप्रयागः उत्तराखंड की कई तहसीलें ऐसी हैं जहां अधिकारियों का टोटा पड़ा है। एक अधिकारी के पास ढ़ेर सारी जिम्मेदारियां है। ऐसे में अधिकारी अपने काम के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं। इसके साथ ही वह तनाव के माहौल में जीने को मजबूर है। ताजा प्रकरण रूद्रपयाग जिले का है। जहां जनपद की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित ऊखीमठ तहसील में न तो एसडीएम है और न ही तहसीलदार है। केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने अफसोस जताते हुए कहा कि सरकार को जनता की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नाराजगी जताई।
ऊखीमठ तहसील में पिछले 20 दिन से एसडीएम और तहसीलदार न होने पर केदारनाथ विधायक मनोज रावत खासे नाराज हैं। मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उन्होंने कहा कि रूद्रप्रयाग जनपद में उपजिलाधिकारियों, तहसीलदारों और नायाब तहसीलदारों के पद खाली है। वह भी तब जब इन दिनों केदारनाथ यात्रा चल रही है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ की व्यवस्था हेतु यात्रा काल के दौरान ऊखीमठ एसडीएम, तहसीलदार और राजस्वकर्मियों को केदारनाथ जाना होता है। ऐसे में उपजिलाधिकारी सहित राजस्व अधिकारियों की अनुपलब्धता के कारण आम जनता के आवश्यक कार्य नहीं हो पाते हैं।
विधायक मनोज रावत ने मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से जनता की परेशानियों से अवगत करते हुए कहा कि रूद्रप्रयाग जिले के लिए स्वीकृत पदों के अतिरिक्ति उपजिलाधिकारी व तहसीलदार की नियुक्ति की जाय। वहीं उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर कब तक 80 किमी दूर जखोली के उपजिलाधिकारी के दम पर काम चलेगा। उन्होंने सरकार पर व्यंग्य करते हुए कहा कि अगर अधिकारियों का टोटा पड़ा है तो क्यों नहीं किसी पटवारी को ही एसडीएम का चार्ज दे देते, कम से कम बेरोजगारों के प्रमाण पत्र ही बन जाते।