भू-धंसावः आकाशकामिनी निगल रही उषाड़ा की जमीन, खतरे की जद में गांव

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रूद्रप्रयागः तुंगनाथ घाटी की ग्राम पंचायत उषाड़ा का ताला तोक में भू-स्खलन का खतरा मंडरा रहा है। आकाशकामिनी नदी से सटे होने के कारण यहां लगातार भू-क्षरण हो रहा है। जिससे गांव का एक बड़ा हिस्सा भू-धंसाव की चपेट में आ चुका है। उषाड़ा के प्रधान कुंवर सिंह बजवाल गाँव में हो रहे भू-धंसाव से काफी चिंतित हैं। वह कहते हैं कि केदारनाथ त्रासदी का मंजर देख उन्हें डर सताया रहता है कि कहीं रात में भू-धंसाव हो गया तो बड़ी जनहानि हो सकती है। बजवाल बताते हैं कि आकाशकामिनी नदी से गांव के नीचे भूमि का लगातार कटाव हो रहा है जिसके चलते गांव के करीब 50 परिवारों के मकान और एक दर्जन दुकानों पर इसका खतरा बना हुआ है।

बरसात में सहम जाते हैं लोग
उषाड़ा के ग्रामीण बताते हैं कि गांव से सटी आकाशकामिनी नदी उनके लिए डर का पर्याय बन गई है। नदी का तेज प्रवाह गाँव की जमीन को तेजी से बहा ले जा रहा है। जिसके कारण गांव का ताला तोक लगातार नदी में समा रहा है। वहीं ग्राम प्रधान कहते हैं कि बरसात शुरू होते ही गांव के लोगों की चिंता बढ़ जाती है। हर साल ग्रामीण पूरी बरसात इसी चिंता में गुजार देते हैं कि कहीं भू-स्खलन की चपेट में वह न आ जाये। बजवाल कहते हैं कि जैसे ही बारिश शुरू होती है गांव के लोग सहम जाते हैं। क्योंकि बारिश होने से भू-धंसाव बढ़ने लगता है साथ ही नदी के जल स्तर में भी वृद्धि हो जाती है, जिससे नदी जमीन को तेजी से काट लेती है।

दरारों से भरें हैं घर
ताला तोक में भारी भू-धंसाव से गांव के करीब 50 परिवार और दुकानों पर खतरा मंडरा रहा है। प्रधान कुंवर सिंह बजवाल बताते है कि गांव की जमीन में बड़ी-बड़ी दरारे पड़ी है। इतना ही नहीं लोगों के घरों में भी मोटी-मोटी दरारें है। वह कहते हैं कि गांव में पड़ी दरारे में बरसात का पानी भर जाता है। जिससे भू-स्खलन का खतरा बढ़ जाता है। उन्होने कहा कि पहले लोगों ने इन दरारों का मिट्टी-पथरों से भरा। लेकिन ये दरारे लगतार चैड़ी होती जा रही है। बजवाल बताते हैं कि कुंड-चोपता मोटर मार्ग पर भी खतरा बना हुआ है।

कृषि भूमि निगल रही नदी
आकाशकामिनी नदी की तेज लहरे उषाडा की कृषि भूमि का भी अपनी चपेट में ले रही है। ग्राम प्रधान बताते है कि भू-धंसाव से उनके गांव की कृषि भूमि हर साल नदी की ओर सरक रही है। वह कहते हैं कि गाँव की 3 हेक्टेयर कृषि भूमि पर खतरा बना है। इस जमीन पर ग्रामीण पूरी तरह से निर्भर थे, वहां लोग खेती कर विभिन्न फसल उगाते। लेकिन फसली जमीन भी लगातार भूधंसाव की चपेट में आ चुकी है।

प्रशासन से लगाई गुहार
उषाडा गांव पर बने भू-स्खलन के खतरे को लेकर ग्राम प्रधान कुंवर सिंह बजवाल ने एसडीएम ऊखीमठ को पत्र सौंपा। जिसमें उन्होने प्रशासन से नदी किनारे हो रहे भू-स्खलन की रोकथाम की मांग की। उन्होने स्थानीय प्रशासन को गांव में हो रहे भू-धंसाव से अवगत कराया और कहा कि प्रशासन जल्द से जल्द इस पर कार्यवाही करे। ताकि ग्रामीणों के घर और कृषि जमीन भू-स्खलन की भेंट न चढ़े। वहीं ऊखीमठ स्थानीय प्रशासन का कहना है कि गांव के स्थलीय निरीक्षण के लिए राजस्व विभाग की टीम को भेजा गया। टीम ने स्थलीय निरीक्षण कर प्रभावित परिवारों से भी बात भी की। जल्द ही राजस्व विभाग प्रभावित परिवारों की सूची प्रशासन को सौंपेगा।

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