देहरादूनः प्रदेश के नौनिहाल अब गढ़वाली गीतों के जरिये उत्तराखंड को समझेंगे। समग्र शिक्षा के अंतर्गत राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद यानी एससीईआरटी ने 14 गीतों की एक श्रृखंला तैयार की है। जिसमें प्रदेश की सम्पूर्ण जानकारी दी गई है। 14 गीतों की इस श्रृंखला का गायन जागर की वार्ता शैली में किया गया है। एससीईआरटी द्वारा इन गीतों को सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर रिलीज कर दिया है। ताकि वृहद स्तर पर प्रदेश के नौनिहालों को इसका लाभ मिल सके।
एससीईआरटी के डॉ. नंदकिशोर हटवाल का कहना है कि करीब दो साल पहले गढ़वाली गीतों को शिक्षा से जोड़ने की योजना बनाई थी। जिसके तहत चयनित शिक्षकों के समूह ने सामान्य ज्ञान के विभिन्न विषयों पर आधारित गढ़वाली गीत तैयार किए। गीत तैयार होने के बाद हाल ही में एससीईआरटी के पाठ्यक्रम शोध एवं विकास विभाग द्वारा अपने यूट्यूब चैनल पर इन्हें लॉच किया। गीतों को स्वर ओम बधाणी ने दिया। बधानी समग्र शिक्षा नवाचारी विभाग के जिला समन्वयक है। इसके साथ ही वह उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक भी हैं। बधाणी का गीतों के संदर्भ में कहना है कि इन गीतों के माध्यम से उत्तराखंड के समग्र इतिहास की जानकारी दी गई है। गीतों के साथ ही विभिन्न गायन शैली, धुनों तथा वाद्य यंत्रों की जानकारी देने का प्रयास भी किया गया है।
कुमाऊंनी और जौनसारी में तैयार होंगे गीत
प्रसिद्ध जागर शैली में गढ़वाली गीतों के जरिये उत्तराखंड की समग्र जानकारी देने पर डाॅ. हटवाल का कहना है कि अगर यह प्रयास सफल रहा तो जल्द ही कुमाऊंनी और जौनसारी बोली में भी गीत तैयार किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि अब देश में नई शिक्षा नीति लागू हो गई है। ऐसे में प्राथमिक स्तर पर क्षेत्रीय भाषा में नौनिहालों को शिक्षा दी जायेगी। लिहाजा इन गीतों के माध्यम से बच्चों को प्रदेश की सरलता से जानकारी दी जा सकेगी।
गीतों में विभिन्न जानकारी
ओम बधाणी ने बताया कि 14 गीतों की इस श्रृंखला के माध्यम से बच्चों को उत्तराखंड राज्य के इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व वीर सपूतों, वन्यजीवों व वनस्पतियों, नदियों, पर्वत श्रृंखलाओं, ताल व झीलों, धार्मिक स्थलों, जनजातियों, मेले, ग्लेशियरों, दर्रों, पर्यटन स्थलों आदि की जानकारी मिल सकेगी।