नेपाल का नाटकः क्या भारत को एक और झटका देने की तैयारी में है नेपाल?

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नेपाल भारत का सबसे अहम और करीबी राष्ट्र रहा है। लेकिन हाल के वषों में नेपाल के अंदर भारत के प्रति नफरत पैदा होने लगी। नेपाल में जब से कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता में आई तब से भारत और नेपाल के रिश्तों मे कड़वाहट आनी शुरू हुई। वर्तमान नेपाली सरकार का झुकाव चीन की ओर रहा है। लिहाजा चीन ने भारत की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय साख का गिराने के लिए नेपाल को अपना साफ्ट टारगेट चुना और नेपाल को भारत के खिलाफ कर दिया। हाल के दिनों में भारत और नेपाल के संबंधों में कडवाहट पैदा हो चुकी है। नेपाल लगातार भारत विरोध गतिविधियों को अंजाम देकर चीन को खुश करने में जुटा है। विवादित नक्शा जारी करने के बाद नेपाल अब नेपाली पुरूषों के साथ शादी करने वाली भारतीय महिलाओं को नागरिकता देने पर अड़ंगे लगाने की मंशा पाल रहा है।

पिथौरागढ़ः नेपाल की सत्तारुढ़ पार्टी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सचिवालय की एक बैठक में नेपाली पुरुषों के साथ विवाह करने वाली विदेशी महिलाओं को शादी के सात साल बाद नागरिकता देने के फैसले को अनुमति दे दी गई है। सचिवालय की बैठक में पार्टी ने यह फैसला लिया है। जिसके प्रस्ताव को संसदीय राज्य मंत्रालय और सुशासन समिति संसद को भेजेगी। फैसले की जानकारी देते हुए पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने कहा कि सचिवालय की बैठक में नेपाली पुरुष से शादी करने वाली विदेशी महिला को सात साल बाद अपनी पुरानी नागरिकता त्यागने का प्रमाण या उससे जुड़ा प्रमाण दिखाकर नेपाली नागरिकता दी जाएगी। उनका कहना है कि यह कानून भारत सहित सभी विदेशी महिलाओं पर लागू होगा।

नेपाल में फैसले का विरोध
नेपाल की सत्तारुढ़ पार्टी के इस फैसले का मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया है। विदेशी महिलाओं को नागरिकता देने के फैसले पर बीते दो सालों से कई पार्टियों में मतभेद है। राष्ट्रीय असेंबली में नेपाली कांग्रेस के सांसद राधेश्याम अधिकारी ने कहा है कि नागरिकता देने के पिछले तरीके को देखा जाए तो एक विवाहित महिला को जब चाहे नागरिकता मिल सकती है लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का यह फैसला संविधान के अनुरूप नहीं है।

नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 11 (6) के प्रावधान के अनुसार, नेपाली पुरुष से विवाह करने वाली विदेशी महिला कानून के अनुसार नेपाल की नागरिकता ले सकती है। नागरिकता कानून के अनुसार, विदेशी महिला को नागरिकता लेते समय वैवाहिक संबंध और पिछली नागरकिता त्यागने के प्रमाण प्रस्तुत करने होते हैं। अधिनियम में संशोधन के बिल के बारे में, नेपाली कांग्रेस और तराई-केंद्रित दलों ने कहा है कि संविधान के अनुसार पिछले प्रावधान को जारी रखा जाना चाहिए। चूंकि सत्तारूढ़ दल के पास विधानमंडल-संसद के दोनों सदनों में बहुमत है, बिल सीपीएन (माओवादी) के निर्णय के अनुसार पारित किया जा सकता है।

  • हाइलाइट्स
  • देश के विवादित नक्शे के बाद नेपाली सरकार ने भारत को दिया एक और झटका, नागरिकता कानून में बदलाव की तैयारी
  • अब भारतीय बेटियों को शादी के बाद नेपाली नागरिकता के लिए करना होगा 7 साल का इंतजार
  • नेपाल के गृहमंत्री राम बहादुर थापा ने भारत में ऐसा ही कानून होने का किया दावा, पर सच्चाई कुछ और

इस संशोधन का विरोध कर रहे तराई-केंद्रित जनता समाजवादी पार्टी के नेता लक्ष्मण लाल कर्ण ने भी सीपीएन (माओवादी) के फैसले पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, चूंकि नेपाल और भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, इसलिए इस तरह की व्यवस्था ने लोगों की भावनाओं पर हमला किया है। हमारी मांग मौजूदा व्यवस्था को बनाए रखने की है। नेपाल में इस प्रावधान को लेकर सोशल मीडिया पर भी असंतोष के स्वर देखे गए हैं। भारत और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में अंतर-देशीय शादियां होना आम बात है। भारतीय बेटियां नेपाल में ब्याही जाती हैं जबकि नेपाली बेटियां बारत की बहू बनती हैं।

भारत के खिलाफ चाल
नेपाल के गृहमंत्री राम बहादुर थापा का कहना है कि नागरिकता नियम में बदलाव का ये प्रस्ताव भारत को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। हाल ही में भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि नेपाल का भारत के साथ रोटी-बेटी का रिश्ता है जिसे दुनिया की कोई ताकत नहीं तोड़ सकती है। अब नेपाल के इस कदम के बाद लग रहा है कि रोटी-बेटी का ये रिश्ता कमजोर हो रहा है। वहीं, भारत में भी विदेशी महिला को विवाह के सात साल बाद नागरिकता मिलने का प्रावधान है लेकिन ये नेपाल की महिलाओं पर लागू नहीं है।

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