1 अप्रैल से कुछ ऐसे बदलाव होने वाले हैं जो आपके लिए फायदे का सौदा हो सकते हैं और लापरवाही बरतने पर ये लाखों का नुकसान भी करवा सकते हैं। हालांकि अभी अप्रैल आने में एक महीने का समय है लेकिन फिर भी इन पर अभी से ध्यान देना जरूरी है। ये मसला कार से जुड़ा हुआ है। दरअसल, आने वाले दिनों भारत में पुरानी कारों के बाजार को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इंडस्ट्री के जानकारों को इस बात का डर एक हालिया आधिकारिक नोटिफिकेशन के कारण सता रहा है।
खरीद व बिक्री में आएगी पारदर्शिता
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पिछले साल 22 दिसंबर को एक नोटिफिकेशन जीएसआर 901(ई) (G.S.R 901E) को जारी किया था। मंत्रालय का कहना था कि इस बदलाव से डीलरों के मार्फत रजिस्टर्ड कारों की खरीद व बिक्री में पारदर्शिता आएगी तथा बिजनेस करना आसान होगा।
ये दिक्कतें होंगी दूर
नोटिफिकेशन लाने का उद्देश्य किसी वाहन को एक से ज्यादा बार ट्रांसफर करने में आने वाली दिक्कतों को दूर करना था। इसके अलावा थर्ड-पार्टी को होने वाले नुकसान की देनदारियों को तय करना और डिफॉल्टर तय करने में आने वाली दिक्कतों को दूर करना भी इसका उद्देश्य था। नोटिफिकेशन में प्रस्तावित बदलाव एक अप्रैल 2023 से प्रभावी होने जा रहे हैं। हालांकि इंडस्ट्री का कहना है कि नए बदलावों से प्री-ओन्ड व्हीकल्स यानी पुरानी कारों का कारोबार करने वाली कंपनियों के ऊपर नियमों के अनुपालन का बोझ बढ़ेगा। भारत में कार देखो और कार्स 24 जैसी कंपनियां पुराने वाहनों की खरीद व बिक्री में संलिप्त हैं। इंडस्ट्री का ये भी कहना है कि जारी किए गए नोटिफिकेशन को लेकर व्याख्या करने के संबंध में भी दिक्कतें हैं।
भारत में प्री-ओन्ड व्हीकल्स का बाजार बड़ा
आंकड़ों की बातें करें तो भारत में कार देखो और कार्स 24 जैसी बड़ी कंपनियों के अलावा भी पुरानी कारों का बड़ा बाजार है। देश भर में करीब 30 हजार डीलर पुरानी कारों की खरीद व बिक्री के कारोबार में लगे हुए हैं। विभिन्न अध्ययनों व अनुमानों के हिसाब से भारत में पुरानी कारों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और यह साल 2026 तक 50 बिलियन डॉलर का हो सकता है।
ये है सबसे बड़ी दिक्कत
प्री-ओन्ड कार इंडस्ट्री के हिसाब से प्रस्तावित बदलावों की एक बड़ी खामी यह है कि इसमें एक डीलर के द्वारा दूसरे डीलर को पुरानी कार बेचे जाने के बारे में स्थितियां स्पष्ट नहीं की गई हैं। इसके चलते पुरानी कार को जो डीलर सबसे पहले खरीदेगा, वही डीम्ड ऑनर बना रहेगा, भले ही कार को किसी अन्य डीलर को बेचा जा चुका हो। इसका मतलब हुआ कि पुरानी कारों के उन लेन-देन पर असर होने वाला है, जो बिजनेस टु बिजनेस होंगे।