दहशतः सालभर से गुलदार की दहशत में जी रहे ग्रामीण, गौपालकों ने भागकर बचाई जान

0

देहरादूनः एक वर्ष से अधिक का समय बीत गया लेकिन वन विभाग ने गुलदार के आंतक से अभी ग्रामीणों कोई निजात नहीं दिलाई। स्थानीय लोगों के मुताबिक साहिया गौशाला के नजदीक गुलदार लगातार दस्तक दे रहा है। मंगलवार को गौशाला से कुछ दूर जंगल से अचानक गुलदार झपटा, बड़ी मुश्किल से गौपालकों ने भागकर अपनी जान बचाई, लेकिन गौ पालकों के सामने ही एक कुत्ते को गुलदार उठा ले गया।

पिछले एक साल से गौसेवा समिति और ग्रामीण वन विभाग से गुलदार को कैद करने के लिए पिंजरा लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन वन विभाग समस्या को हल करने के प्रति लापरवाह बना हुआ है। मंगलवार को करीब दो बजे चरखेत से कुछ दूर गौपालक गायों को चराने ले गए। उनके साथ एक कुत्ता भी था।

गौपालक गुमान दास और महेंद्र राठौर एक जगह बैठे हुए थे, तभी अचानक गुलदार दिखाई दिया। गुलदार उनके सामने ही कुत्ते को उठा ले गया। उन्होंने गुलदार को भगाने की कोशिश की तो उल्टा उनके ओर भी गुलदार झपटा, जिस पर दोनों गौ पालकों ने भागकर जान बचाई।

गायें भी पशुपालकों के पीछे दौड़ कर जंगल से बाहर आ गयी। गुलदार की दस्तक से ग्रामीणों में दहशत है। आसपास की छानियों और गांवों में भी लगातार गुलदार का आतंक जारी है। गौ संरक्षण सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश चौहान का कहना है कि जब तक गुलदार किसी इंसान की जान नहीं लेगा, वन विभाग की आंखें नहीं खुलेगी। पिछले एक साल से लगातार समिति पिंजरा लगाने के लिए लिख रही है।

गौशाला के निकट पिंजरा लगाया जाए और गुलदार को पकड़कर अन्य घने जंगल में छोड़ा जाए, लेकिन कोई भी सुनने को तैयार नहीं है। उधर, रीवर रेंज डाकपत्थर के रेंजर अनिल भट्ट का कहना है कि गश्त बढ़ाई जाएगी। गौशाला के निकट फिर कैमरे लगाएं जाएंगे, जिससे ये मालूम हो सके कि गुलदार किस रास्ते से आता है। उसके बाद ही अग्रिम कार्यवाही शुरू की जाएगी।

जानवरों से जुड़ा एक मामला कालागढ़ से भी सामने आया है। कालागढ़ में एक चीतल सेप्टिक टैंक में गिर गया था, जोकि चर्चा का विषय बना हुआ था। सेप्टिक टैंक में गिरे हुए नर चीतल को वन महकमे की टीम ने रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया। कालागढ़ की केंद्रीय कालोनी निवासी मोहम्मद आसिफ खान के आवास संख्या बी-682 में एक व्यस्क नर चीतल सेप्टिक टैंक में गिर गया।

सूचना मिलने के बाद सर्प मित्र दीपक कुमार के नेतृत्व में विभागीय टीम मौके पर पहुंची और चीतल को सुरक्षित टैंक से बाहर निकाला। इसके बाद चीतल की स्वास्थ्य जांच की गई व शरीर में कोई चोट न होने के कारण उसे जंगल में छोड़ दिया गया।

Previous articleदस दिन के भीतर होंगे शिक्षकों के अंतर मंडलीय स्थानांतरण: डॉ धन सिंह रावत

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here