कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश में परिवहन निगम की बसों का संचालन पूरी तरह से बंद कर दिय गया था। सरकार ने लोगों समस्याओं को देखते हुए बसों के संचालन का फैसला लिया। जिसके बाद लगभग 95 दिन के अंतराल पर निगम की बसे विभिन्न रूटों पर रवाना हुई। बसों के संचालन से जहां आम आदमी को राहत मिली वहीं बढ़े हुए किराये से लोग परेशान भी नजर आये।
देहरादूनः 22 मार्च को लगे देशव्यापी जनता कफ्र्यू से जाम चल रहे रोडवेज के पहिये अब घूमने लगे हैं। उत्तराखंड परिवहन निगम ने 60 से अधिक रूट पर 93 बसों का संचालन किया। इसमें करीब 1400 यात्रियों ने सफर किया। हालांकि, अपनी लंबित मांगों के चलते निजी बस ऑपरेटर जीएमओ व टीजीएमओ ने बसों के संचालन से परहेज किया। ऐसे में गढ़वाल के तमाम रूट पर यात्रियों की उम्मीद के विपरीत बसों का संचालन नहीं हो पाया।
उत्तराखंड परिवहन निगम के महाप्रबंधक (संचालक) दीपक जैन ने बताया कि गुरुवार को शासन की एसओपी के क्रम में ही बसों का संचालन किया गया। सभी प्रमुख रूटों पर बसें चलाई गई और 50 फीसद सीट क्षमता के हिसाब से यात्रियों का बैठाया गया। इसके मुताबिक बसों में करीब 2500 सीट यात्रियों के लिए उपलब्ध थीं, मगर पहले दिन 1400 के लगभग ही यात्री सवार हो पाए। बसों के संचालन का यह पहला दिन था। शायद इसी कारण अभी यात्रियों की क्षमता कम रही। फिर भी पहले दिन के हिसाब से यह संख्या ठीक है। आने वाले दिनों में यात्रियों की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है।
उधर, निगम के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चैहान ने बताया कि अभी कुछ दिन 93 बसों का संचालन ही किया जाएगा। इसके बाद यात्रियों के हिसाब से बसों की संख्या बढ़ाने पर विचार किया जाएगा। सभी डिपो प्रबंधन को निर्देश दिए गए हैं कि वह बसों में उचित सैनिटाइजेशन कराते रहें और कार्मिकों समेत यात्रियों से भी शारीरिक दूरी के नियमों का पालन कराएं।