नैनीतालः दुग्ध संघों में मनमानी का आलम अगर जानना है तो नैनीताल दुग्ध संघ इसके लिए उम्दा उदाहरण है। कैसे दुग्ध संघों को लूटा और खसोटा जा रहा है यह इसकी बानगी भर है। नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा इन दिनों चर्चाओं में हैं। चर्चाओं में इसलिए कि नैनीताल हाईकोर्ट में उनकी चैयरमैनशिप को चैलेंज किया गया है। बोरा पर आरोप है कि वह पशुपालक है ही नहीं। ऐसे में वह दुग्ध संघ के अध्यक्ष पद पर कैसे काबिज हैं। हाईकोर्ट ने उनकी योग्यता और संघ संचालन को लेकर दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है और सचिव दुग्ध विकास और दुग्ध संघ को नोटिस तामील कर चार सप्ताह के भीतर जवाब देने के आदेश दिये हैं।
कोटाबाग निवासी दिगपाल सिंह ने याचिका दायर कर कहा है कि नैनीताल दुग्ध संघ के चेयरमैन मुकेश बोरा पशुपालक नहीं हैं, लिहाजा वह दुग्ध संघ निकाय की अर्हता पूरी नहीं करते हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि पिछले दिनों विभागीय जांच में उजागर हुआ था कि दुग्ध संघ अध्यक्ष ने जिस दूध के भुगतान की राशि के आधार पर सदस्यता ली थी, वह भुगतान किसी दीपा देवी के खाते में होता है।
मुकेश बोरा पर यह भी आरोप है कि चेयरमैन को मासिक डीजल भत्ता डेढ़ हजार किमी के लिए मिलता है, मगर वह मासिक तीन-चार हजार किलोमीटर का डीजल वाहन भत्ता ले रहे हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार, चेयरमैन किसी भी तरह से अर्हता नहीं रखते। रसूख के बल पर उनकी जांच रिपोर्ट दबा दी गई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राघवेंद्र सिंह चैहान व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद सचिव दुग्ध विकास व दुग्ध संघ को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।