लद्दाख की गलवान घाटी में हालात सुधरे नहीं हैं। भारत और चीन की सेनाओं में तनाव कायम है। एक्सपर्ट मानते हैं कि इसे जल्द नहीं सुलझाया गया तो 15 जून जैसी हिंसक झड़प फिर से हो सकती है। यहां तक दोनों देशों के बीच युद्ध होने की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता। 45 साल बाद सीमा पर इतना तनाव देखा गया है। इतने सालों में सीमा पर न तो कभी गोली चली और न ही किसी जवान की जान गई थी। लेकिन इस बार तनाव अपने चरम पर है।
नई दिल्लीः लद्दाख की गलवान घाटी में हालात को जल्द काबू नहीं किया गया तो स्थिति और चिंताजनक हो सकती है। ऐसे में युद्ध तक की नौबत से इनकार नहीं किया जा सकता। रक्षा मामलों से जुड़े एक्सपर्ट मानते हैं कि गलवान घाटी में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद स्थिति काफी तनावपूर्ण है। हालात अभी ऐसे हैं कि कभी भी चीनी और भारतीय सेना आमने-सामने आ सकती हैं, ऐसे में जल्द से जल्द विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाना जरूरी हो जाता है।
पिछले दिनों गलवान में जो कुछ हुआ ऐसा 45 सालों बाद देखा गया। इतने सालों में वहां कोई गोली नहीं चली थी न ही किसी जवान की जान गई थी। ऐसा दोनों देशों के बीच संधि की वजह से था जिसमें तय किया गया था कि दोनों ही देशों के जवान बॉर्डर पर हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। इस हिंसक झड़प में चीन के जवानों ने भी जान गंवाई है। वहीं 20 साथियों को खोने का गम भारतीय जवानों को भी है। ऐसे में अब पिछली संधियों का पालन कर पाना मुश्किल हो सकता है।
एक इंटरव्यू में पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीपी मलिक ने कहा कि अगर जल्द से जल्द बातचीत से मुद्दा नहीं सुलझा तो ऐसी हिंसक झड़प बढ़ जाएंगी। मलिक कहते हैं, जब सैनिक आमने-सामने हों, टेंशन और गुस्से का माहौल हो तो छोटी सी घटना भी बढ़ा रूप ले सकती है। फिलहाल गलवान घाटी में भारतीय सेना भी पूरी तरह सतर्क है। थल और वायु सेना दोनों हाई-अलर्ट पर हैं। चीन की किसी भी गुस्ताखी का जवाब देने की सेना को मोदी सरकार ने पूरी छूट दी है।