देहरादून। पूरे उत्तराखंड को झकझोर देने वाली रैणी आपदा को आज 2 साल पूरे हो गए हैं। इस आपदा में 200 से ज्यादा जिंदगियां मलबे में दफन हो गई थीं। इस जलप्रलय को याद करते ही आज भी लोग सिहर उठते हैं।
बता दें कि आज ही के दिन यानि 7 फरवरी 2021 को चमोली के तपोवन क्षेत्र में रैणी गांव के पास ऋषिगंगा में आए जल सैलाब से भारी तबाही मची थी। जिसकी चपेट में आने से ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना और एनटीपीसी जल विद्युत परियोजना में कार्यरत 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। सात फरवरी की सुबह आई इस आपदा ने उत्तराखंड ही नहीं देश को भी हिला कर रख दिया था। उस दिन चटख धूप साफ सुहावने मौसम में प्रकृति ने अपना खौफनाक मंजर दिखाया था। जिसे आज याद कर आज भी आपदा प्रभावितों सहित प्रत्यक्षदर्शियों की रूह कांप जाती है।
दरअसल ऋषि गंगा में रैंठी ग्लेशियर टूटने से जल प्रलय ने तबाही मचाई थी। इस जल प्रलय में 13 मेगावाट की ऋशि गंगा जल विद्वुत परियोजना का नामोनिशान मिट गया था। इसके साथ ही रैणी गांव के पास ऋषिगंगा नदी पर नदी तल से करीब 70 मीटर ऊंचाई पर बना एक बड़ा पुल भी बह गया था, जिससे नदी के ऊपर के गांवों और सीमावर्ती क्षेत्रों में आपूर्ति बाधित हो गई और फिर यह मलबा आगे बढ़ते हुए धौलीगंगा नदी पर 520 मेगावाट की तपोवन विष्णुगाड जल विधुत परियोजना को भी क्षतिग्रस्त कर गया।
इस आपदा में 200 से ज्यादा लोग लापता हो गए थे। जिसमें अभी भी कई लोगों के शव नहीं मिले हैं। इस आपदा के दौरान 520 मेगावाट वाली तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के साथ ही ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट का नक्श ही बदल गया था। हालांकि एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट तो दुवारा से शुरु हो गया है। लेकिन ऋषि गंगा पावर प्राजेक्ट पूरी तरह से खत्म हो गया था। इस आपदा में करीब 1,625 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।
भले ही जोशीमठ ऋषि गंगा में आई आपदा को 2 साल हो गए हो, लेकिन जख्म अभी भी नहीं भर पाए हैं। इस आपदा ने भारी से भारी तबाही मचाई थी। लिहाजा इस आपदा से भी हम सबक नहीं सीख पाए और इसका खामियाजा आज जोशीमठ और अन्य कई गांव-शहर भुगत रहे हैं।