स्वरोजगार: 5 हजार का मुर्गी फार्म, 15 हजार की कमाई

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चमोली। उत्तराखंड में स्वरोजगार की असीम संभावनाएं हैं। बस थोड़ा धैर्य और मेहनत चाहिए। कितनी बड़ी बिडम्बना है कि जिस राज्य के पास रोजगार हजारों विकल्प है उस राज्य के कई इलाके रोजगार की खातिर पलायन से वीरान पड़े हैं। लेकिन कई युवा ऐसे भी है जो सपनों के महानगरों से लौट कर घर आये और अपनी मेहनत के दाम पर खुद का कारोबार शुरू कर दिया। सफलता की ऐसी कहानी है जगदंबा प्रसाद पुरोहित की। जो कई सपने लेकर 1983 में देश की राजधानी दिल्ली गए थे। लेकिन कोरोना संकट और प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की यह बात कि आवा अपणू गौ ने उन्हें अन्दर तक प्रभावित किया। जगदम्बा प्रसाद पुरोहित वो नाम है जिसने परेशानियों के सामने कभी हार नहीं मानी। और अपना मुकाम खुद हासिल किया है।

जगदम्बा प्रसाद पुरोहित चमोली जिले के ग्राम जाखडी ब्लाक घाट के के रहने वाले हैं। पुरोहित का परिवार अच्छी जिन्दगी देश की राजधानी दिल्ली में जी रहा है, लेकिन सीएम रावत की बात से वह इतना प्रभावित है कि उन्होंने अपना कारोबार अपने घर पर ही शुरू कर दिया है। सिर्फ 5,000 रुपए का लेकर शुरु किए गए मुर्गी पालन से पुरोहित 15-20 हजार रुपए महीने की कमाई कर रहे है।

पुरोहित के देखा-देखी से आस पास के पहाड़ी इलाके में कई और लोगों ने भी मुर्गी पालन को रोजगार का जरिया बनाया है। मुर्गियां, बकरियां और भेड़ जैसे छोटे पशु उत्तराखंड के गांवों में लगभग हर घर में नजर आएंगे। इन पशुओं की देखरेख की जिम्मेदारी घर की महिलाओं पर होती है। इन्हीं में से कुछ महिलाओं ने पशुपालन को रोगजार का जरिया बना लिया है। उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी से से करीब 250 किलोमीटर दूर घाट प्रखंड में पहाड़ों के बीच है जाखडी गांव है। इसी गांव में रहने वाले है जगदम्बा प्रसाद पुरोहित ने अपने घर के पास ही मुर्गी शेड बना रखा है, जिसमें इस वक्त 200 और 100 से अधिक मुर्गी है। पुरोहित ने बताया कि उन्होंने देशी मुर्गी रखी हुयी है।

पुरोहित बताते है कि सरकार क योजना भी अब शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि लाॅकडाउन से पहले उन्हें दिल्ली से घर आने का प्लान किया। मात्र 5 हजार के 250 चूजे खरीदे, जिन्हें बेचने पर 15 हजार रुपए मिले। इन चूजों से मिले पैसों से और चूजे खरीदे, इस बार 25 हजार रुपए मिले। उन्होने बताया कि दिल्ली में मिली ट्रेनिंग का उन्हे पूरा फायदा हुआ। बड़ी मुर्गियां चूजों को नुकसान न पहुंचा दें इसलिए चूजों को साड़ी से बनाए छोटे से दरबे में रखा जाता है। इन्हें मुर्गियां बेचने में दिक्कत नहीं होती हैं क्योंकि खरीददार घर तक पहुंच जाते हैं।

क्या है लक्ष्य-
पुरोहित ने बताया कि उनका लक्षय अगले 6 महीने में 500 मुर्गी तैयार करना है जो प्रतिदिन 500 अंडे देगी और प्रति अंडे की कीमत देशी अंडा 10 रूपये का है रोज 5000 यानी महीने में 150000 रूपये तक की कमाई की जा सकती है। पुरोहित ने कहा कि अब तो सरकार ने भी स्वरोजगार के लिए रास्ते खोल दिये है। इससे ग्रामीण और खास कर प्रवासी उत्तराखंडियों को बहुत फायदा होगा।

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