हुवावे, जिसके दम पर चीन इतरा रहा था और डिजीटल तकनीक की दुनिया का बेताज बादशाह बनने की इच्छा पाले हुए था। उसी हुवावे की मुश्किलें बढ़ने लगी है। भारत-चीन तनाव के बीच भारत की डिजीटल स्ट्राइक के बाद अमेरिका के नये प्रतिबंधों सहित यूरोपीय देशों से तनाव ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सपनों को करारा झटका दिया है।
नई दिल्लीः हुवावे के बल पर वर्ष 2030 तक चीन डिजीटल तकनीक की दुनिया पर राज करने का सपना देख रहा था। लेकिन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का यह सपना अब अधूरा रह जायेगा। दुनिया में चीन की ‘ताकत’ का प्रतीक कहे जानी वाली हुवावे कंपनी पर अमेरिका ने ताजा प्रतिबंध लगा दिया है। इससे हुवावे की अमेरिकी तकनीकों तक पहुंच बहुत सीमित हो गई है। इन प्रतिबंधों के बाद अब हुवावे के 5G तकनीक मुहैया कराने के वादे पर सवाल उठने लगे हैं। संकट की इस घड़ी में भारत और पूरी दुनिया में बढ़ रहे चीन विरोधी माहौल ने हुवावे की मुश्किलें और बढ़ा दी है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हुवावे इस समय बहुत ज्यादा दबाव में है। उसकी अमेरिकी तकनीकों तक पहुंच इससे पहले इतनी कम कभी नहीं थी। अब दुनियाभर में मोबाइल कंपनियां यह सवाल कर रही हैं कि क्या हुवावे समय पर अपने 5जी तकनीक मुहैया कराने के वादे को पूरा कर पाएगी या नहीं। यही नहीं लद्दाख में सीमा पर चल रहे भारी तनाव से दुनिया के विशालतम बाजारों में से एक भारत में चीनी कंपनी के लिए संकट पैदा हो गया है। यही नहीं पूरे विश्व में चीन विरोधी भावनाएं तेज होती जा रही हैं।
- हाइलाइट्स
- हुवावे के बल पर दुनिया पर राज करने का सपना देख रहे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को झटका
- चीन की ‘ताकत’ का प्रतीक कहे जानी वाली हुवावे कंपनी पर अमेरिका ने ताजा प्रतिबंध लगाया है
- इससे हुवावे की अमेरिकी तकनीकों तक पहुंच सीमित हो गई है और उसके वादे पर सवाल उठे
- संकट की इस घड़ी में भारत और दुनिया में बढ़ रहे चीन विरोधी ने हुवावे की मुश्किलों को और बढ़ाया
हुवावे के खिलाफ यूरोप
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने पिछले महीने चेक रिपब्लिक, पोलैंड और इस्टोनिया जैसे देशों की तारीफ की जो केवल विश्वसनीय वेंडर्स को ही अनुमति दे रहे हैं। पोम्पियो ने भारत की टेलिकॉम कंपनी जियो की भी तारीफ की थी जिसने हुवावे की तकनीक को नहीं लिया है। न्यू अमेरिकन सिक्यॉरिटी की शोधकर्ता कारिसा नेइश्चे ने कहा कि यूरोप में बदलाव की शुरुआत हो गई है। उन्होंने कहा कि यूरोप के देश और मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियां इस बात से बहुत चिंतित हैं कि अमेरिकी प्रतिबंधों से हुवावे के बिजनस को बहुत बड़ा झटका लगा है और वह सही समय पर 5जी तकनीक मुहैया नहीं करा पाएगी। दरअसल, अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में ताइवान की कंपनी टीएसएमसी भी आ गई है जो हुवावे को चिप और अन्य जरूरी उपकरण मुहैया कराती है।
भारत चीन के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन-अमेरिकी तनाव के बीच भारत और यूरोपीय देशों से ताजा तनाव ने चीन की चिंता बढ़ा दी है। भारतीय विदेश नीति के विशेषज्ञ चैतन्य गिरी कहते हैं कि भारत अब विचार कर रहा है कि क्या उसे 5जी नेटवर्क में हुवावे के उपकरणों के साथ जाना चाहिए या नहीं। इससे पहले भारत ने हुवावे को 5जी नेटवर्क के लिए ट्रायल में भाग लेने की अनुमति दी थी। हालांकि गलवान घाटी में 20 सैनिकों की निर्मम हत्या के बाद अब दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है।
गिरी कहते हैं कि चीन पर कोरोना वायरस को फैलाने का आरोप लगा है जिससे भारत में उसके खिलाफ लोगों को अभियान तेज हो गया है। भारत सरकार ने चीन के टिक टॉक समेत 59 ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब भारत का अगला कदम हुवावे हो सकता है। जनता में भी यही माहौल बन रहा है कि चीनी सामानों का बहिष्कार करना है। दुनिया के बड़े लोकतंत्र एक सुर में बोल रहे हैं और वे जानते हैं कि क्या दांव पर लगा है।