झटकाः सफल रहा हिन्दुस्तानी राखी अभियान, चीन को हुआ 4 हजार करोड़ का नुकसान

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सीमा पर चीन से तनाव के बीच इस बार भारत में निर्मित राखियों का खूब इस्तेमाल हो रहा है। चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए भारत में स्वदेशी सामान को लेकर अभियान चलाया गया। इस अभियान से भारतीय लोगों ने चीनी सामान का बहिष्कार करना शुरू किया। जिसका नतीजा यह रहा कि चीन को रक्षाबंधन पर करीब 4000 करोड़ रुपये का झटका लगा है। बता दें कि कैट द्वारा पिछले वर्ष 9 अगस्त को चीन भारत छोड़ो दिवस मनाये जाने की घोषणा की गई थी। जो काफी सफल रही।

नई दिल्लीः राखी के त्यौहार ने चीन को 4 हजार करोड़ रुपये बड़ा करोबारी झटका दिया है। इससे यह मिथक भी टूट गया कि भारत में चीनी वस्तुओं का बहिष्कार नहीं हो सकता। चीन को पहुंचे आर्थिक नुकसान के बाद अब अन्य सामान के बहिष्कार को भी बल मिला है। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा शुरू किये गए चीनी बहिष्कार से हिन्दुस्तानी राखी की खूब खरीदारी हुई है। जिससे घरेलु बाजार की स्थिति भी मजबूत हुई।

  • हाइलाइट्स
  • चीनी सामान के बहिष्कार का हुआ असर
  • राखियों के निर्यात न होने से चीन को झटका
  • चीन को 4 हजार करोड़ का बड़ा आर्थिक नुकसान
  • स्थानीय बाजार को मिली आर्थिक मजबूती
  • चीनी वस्तुओं के बहिष्कार को मिलेगी धार

आपको बता दें कि इस बार एक भी राखी या राखी बनाये जाने के सामान का आयात चीन से बिल्कुल नहीं हुआ और इस अभियान का लाभ यह हुआ की देश भर में कैट के सहयोग से भारतीय सामान से लगभग 1 करोड़ राखियां निम्न वर्ग एवं घरों में काम करने तथा आंगनवाड़ी में काम करने वाली महिलाओं सहित अन्य लोगों ने अपने हाथों से अनेक प्रकार के नए-नए डिजाइन की राखियां बनाई। वहीं भारतीय राखी निर्माताओं ने भी भारतीय सामान से राखियां बनाई जिन्हे देश भर में खूब सराहा गया।

50 हजार करोड़ का है राखियों का व्यापार
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल का मानना है कि एक अनुमान के तहत देश में प्रतिवर्ष लगभग 50 करोड़ राखियों का व्यापार होता है जिसकी कीमत लगभग 6 हजार करोड़ रुपये है जिसमें से विगत अनेक वर्षों से चीन से राखी या राखी का सामान लगभग 4 हजार करोड़ रुपये का आता था, जो इस वर्ष नहीं आया।

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