सिंगतूरः एक दशक की मेहनत से बनी उत्तराखंड की एप्पल वैली

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उत्तरकाशीः बाजार में जब सेब पर नजर पड़ती है तो हिमाचल और कश्मीर याद आ जाते हैं। क्योंकि सेब उत्पादन में दोनों ही पहाड़ी राज्य अग्रणी है और उनके सेब अव्व्ल दर्जे के हैं। कम ही लोग जानते हैं कि इन दोनों राज्यों से भी स्वादिष्ट और रसीले सेब उत्तराखंड में होते है। उत्तराखंड के सेब की डिमांड बाजार में खूब है लेकिन अफसोस वह अपनी पहचान के बजाय हिमाचल के नाम से बिकते हैं। उत्तराखंड में कई ऐसे इलाके हैं जहां स्वादिष्ट सेब का उत्पादन किया जाता है। इसमें सबसे चर्चित है उत्तरकाशी का हर्षिल। जिसके सेब की डिमांड न सिर्फ भारत में है बल्कि यूरोपीयन देशों में यहां का सेब खूब बिकता है। हर्षिल की तर्ज पर अब उत्तरकाशी के मोरी ब्लाॅक का सिंगतूर क्षेत्र भी एप्पल वैल के लिए प्रसिद्ध है। एक दशक की अथक मेहनत के बाद यह वैली सेब उत्पादन के लिए अपनी पहचान बना रही है।

मोरी ब्लॉक के सिंगतूर पट्टी के ग्रामीणों ने कड़ी मेहनत कर इस इलाके को एप्पल वैली बनाकर एक मिसाल कायम की है। इसके साथ ही बागवानी के क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा किये। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने एक दशक तक कड़ी मेहनत की तब जाकर सेब के बागीचे तैयार हुए। आज ग्रामीणों की मेहनत से पूरा इलाका एप्पल वैली के तौर पर अपनी पहचान बना चुका है। काश्तकारों का कहना है कि हर साल प्रत्येक परिवार लाखों की आमदनी कर लेता है। वहीं सेब कारोबार के बढ़ने से क्षेत्र में पलायन भी रूका और युवा वर्ग अब बागवानी में ही अपना भविष्य बना रहा है।

सिंगतूर पट्टी के गैच्वांड़, देवरा, संच्चाण, हल्टाड़ी, दणगाण, गुराड़ी, पैंसर, पासा, पोखरी, लुदराला आदि एक दर्जन से अधिक गांवों में कुछ साल पहले तक पारंपरिक खेती होती थी। करीब एक दशक पहले हिमाचल प्रदेश के कुछ काश्तकारों ने क्षेत्र में सेब के बागीचे लगाकर अच्छी आमदनी की। जिससे प्रेरित होकर ग्रामीणों ने भी सेब के बागीचे लगाने शुरू किए। आलम यह है कि काश्तकारों ने नैटवाड़ वैली एप्पल के नाम से अपना अलग ब्रैंड बना दिया है। सेब की गुणवत्ता व पैदावार को बढ़ाने के लिए कई काश्तकारों ने ग्रेडिंग मशीन लगाने के साथ ही सेब की नर्सरी भी तैयार कर दी हैं।

देवरा गांव के सेब काश्तकार बताते हैं कि पहले ग्रामीणों को हिमाचल से सेब की पौध मंगानी पड़ती थी, लेकिन अब वह अपनी नर्सरी से हिमाचल को पौधे सप्लाई कर रहे हैं। जिससे उन्हें लगभग 40 लाख प्रति वर्ष तक की आमदनी हो जाती है। इस वर्ष भी सेब की बंपर पैदावार हुई है। क्षेत्र से करीब सेब की तीन लाख से अधिक पेटियों को मंडी में भेजने की तैयारी की जा रही है। जिसे देखते हुए ग्रेडिंग मशीन भी लगा दी गई है।

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