धंसता जोशीमठ…तो बदरीनाथ यात्रा पर सवाल, क्या वक्त से पहले सरकार कर पाएगी इंतजाम?

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जोशीमठ में असुरक्षित भवनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। करीब 850 घरों, होटलों, सड़कों और सीढ़ियों में दरारें पाई गई हैं। दरार पड़ने का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है। यहां तक की सड़के भी जगह-जगह धंस रही हैं। जिससे बद्री विशाल के द्वार पर संकट की स्थिति पैदा कर दी है। चूंकि बद्रीनाथ के लिए जाने वाला एकमात्र रास्ता जोशीमठ माना जाता है। हजारों तीर्थयात्री यहां रात रुकते हैं, लेकिन अब जोशीमठ में कई स्थानों को “खतरे का क्षेत्र” की श्रेणी में रखे जाने के बाद बद्रीनाथ यात्रा को लेकर संशय बना हुआ है।

हाईवे और सड़के भी प्रभावित

बता दें कि बद्रीनाथ धाम की यात्रा करने से पहले तीर्थयात्री जोशीमठ में रात्रि विश्राम करने का विकल्प चुनते हैं। जोशीमठ में प्रवेश करने के बाद तीर्थयात्री बद्रीनाथ आने-जाने वाले वाहनों से यहां वन-वे रास्ते का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन जोशीमठ में जारी भू-धंसाव संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है। यहां सैंकड़ों घरों और सड़कों में दरारें आ गई हैं। यहां तक कि सड़क की पुलिया भी उखड़ रही है। उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में कहा था कि यात्रा प्रभावित नहीं होगी और यह योजना के मुताबिक ही होगी। हालांकि, अब जोशीमठ में कई स्थानों को डेंजर जोन की श्रेणी में रखे जाने के बाद लोकप्रिय धाम बद्रीनाथ तक ले जाने के रास्ते पर सवाल उठ रहे हैं।

अधर में लटका बाईपास परियोजना का काम

ऑल वेदर चार धाम सड़क परियोजना के तहत बद्रीनाथ के लिए बाईपास तैयार किया जा रहा है, जो जोशीमठ से लगभग 9 किमी पहले हेलंग से शुरू होता है और मारवाड़ी रोड पर खत्म होता है, लेकिन यह परियोजना अभी आधी ही पूरी हुई है और स्थानीय लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया है। जोशीमठ में विरोध और गुस्से के कारण बाईपास परियोजना पर काम रोक दिया गया है। फिलहाल ऐसा लग रहा है कि ऑल वेदर चार धाम सड़क परियोजना के तहत जोशीमठ बाईपास का काम मई के पहले सप्ताह तक तैयार नहीं हो सकता है। वहीं, आमतौर पर बद्रीनाथ धाम की यात्रा मई के पहले सप्ताह में शुरू होती है।

सरकार के सामने कई चुनौतियां, तीन महीने का है समय

दरअसल, जोशीमठ में भू-धंसाव का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां दरारें दिन-ब-दिन चौड़ी होती जा रही हैं। जोशीमठ के कई इलाके असुरक्षित घोषित किए जा चुके हैं। वहीं चार धाम यात्रा का आगाज बसंत पंचमी के दिन राजमहल से बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि निकलने के बाद शुरू होगा। ऐसे में व्यवस्थाओं के लिए सरकार के पास काफी कम समय रह गया है। क्योंकि प्रशासन को तीन महीने के वक्त में पहाड़ी शहर जोशीमठ में लोगों के पुर्नवास, चीजों का व्यवस्थित करने और बद्रीनाथ धाम यात्रा मार्ग का विकल्प खोजने जैसी कई चुनौतियों से पार पाना है।

श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड संख्या से बढ़ी चिंता

चुनौतियां केवल यहीं खत्म नहीं हो जाती है। बदरीनाथ यात्रा पर उमड़ने वाली तीर्थयात्रियों की भीड़ से भी प्रशासन की मुश्किलें और बढ़ने वाली है। क्योंकि यात्रियों की अधिक संख्या का मतलब वाहनों की बढ़ती संख्या से यहां सड़क पर और ज्यादा दबाव बढ़ जाता है। यात्रियों के साथ बढ़ता वाहनों का दबाव अब जोशीमठ के लिए और ज्यादा खतरनाक हो सकता है। बता दें कि पिछले साल 2022 में 17.6 लाख तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर रिकॉर्ड बनाया था।

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