प्रदेश में सरकारी शिक्षा के सामने चुनौतियां कम होने के बजाए लगातार बढ़ती जा रही है। अब तक सरकाराी विद्यालयों की संख्या बढ़ाने पर जितना ध्यान दिया है, शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर रवैया उतना ही ढुलमुल रहा है। प्रतिस्पर्धी वातावरण में गुणवत्ता को प्राथमिकता दे रहे अभिभावकों और विद्यार्थियों में सरकारी विद्यालयों के प्रति रुचि बढ़ाने, विश्वास जगाने और शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए सरकार ने सरकारी विद्यालयों पर करोड़ों खर्च कर सीबीएसई पैटर्न के अटल उत्कृष्ट विद्यालय बनााया। लेकिन सरकार के उच्च स्तरीय शिक्षा देने के वादे की पोल इस बार के सीबीएसई के रिजल्ट घोषित होने पर खुल गई है। हालात ये हैं कि 189 उत्कृष्ट विद्यालायों में से 155 विद्यालयों का खराब प्रदर्शन रहा है।
दरअसल, इन 155 उत्कृष्ट विद्यालयों में 10वीं में इन विद्यालयों का रिजल्ट 60.49 प्रतिशत और 12वीं में महज 51.49 प्रतिशत रहा। वहीं 10वीं, 11वीं और 12वीं में 20 स्कूल तो ऐसे हैं, जिनके 30 प्रतिशत बच्चे ही पास हो पाए हैं। तो 98 अटल उत्कृष्ट विद्यालय ऐसे हैं, जिनके नतीजे 50 प्रतिशत से भी कम रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, 10वीं में 39 ऐसे विद्यालय हैं, जिनके आधे छात्र भी पास नहीं हो पाए हैं। वहीं, 12वीं में 59 ऐसे विद्यालय हैं, जिनके 50 प्रतिशत या इससे कम बच्चे पास हुए हैं। 155 अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में 10वीं के 8625 में से 5142 और 12वीं के 12753 में से 6481 छात्र ही पास हुए हैं। शिक्षकों का मानना है कि बच्चे नहीं बल्कि सिस्टम फेल हुआ है। सरकार की ओर से प्रयोग के तौर पर इन स्कूलों को अटल उत्कृष्ट स्कूल तो बना दिया गया, लेकिन इन स्कूलों में न तो पर्याप्त संबंधित विषय के शिक्षक थे न प्रिंसिपल।