Chhath Puja 2023: नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ चार दिन का महापर्व छठ, इस बार की गई है यह खास तैयारियां

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संतान के सुखी जीवन के लिए सूर्यदेव व छठी मैया की आराधना का चार दिवसीय महापर्व छठ आज से नहाय खाय के साथ शुरू होगा। कल खरना, रविवार को संध्या अर्घ्य, जबकि 20 को प्रात:अर्घ्य दिया जाएगा। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में छठ घाटों की सफाई की गई। वहीं, बाजार में पूजा सामग्री के लिए देर शाम तक भीड़ उमड़ी रही।

घाटों की हुई सफाई
इस पर्व को लेकर पूर्वा सांस्कृतिक मंच (18 घाट) व बिहारी महासभा के (चार घाट) के सेवादारों ने हरबंशवाला, केसरवाला, टपकेश्वर, पथरी बाग, मालदेवता, चंद्रमनी, प्रेमनगर, पंडितवाड़ी, मद्रासी कालोनी, दीपनगर समेत स्थित घाटों पर सफाई की गई।

इस साम्रग्री की होती है आवश्यकता

बता दें कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा की जाती है। बिहार, झारखंड व उत्तर प्रदेश में इस पूजा का काफी महत्व है। देहरादून की बात करें तो यहां बिहार के लोग इस पर्व को खासा उल्लास के साथ मनाते हैं। चार दिवसीय पर्व के लिए महिलाएं दऊरा (बांस की टोकरी), बांस का सूप, डाला, कच्ची हल्दी, अदरक, जंगली बेर, सिंघाड़ा, चकोतरा, गन्ना, लौकी, नारियल आदि खरीदारी करती हैं।

40 मजदूरों के लिए भी होगी पूजा
सुरंग में श्रमिकों की सलामती को घाटों पर डीजे व होर्डिंग पर प्रतिबंध उत्तरकाशी के सिलक्यारा में कई दिनों से सुरंग में फंसे श्रमिकों की सलामती व उनके प्रति चिंता संवेदना जताने के लिए पूर्वा सांस्कृतिक मंच के छठ घाटों पर डीजे व होर्डिंग वर्जित रहेगा। मंच के संस्थापक महासचिव सुभाष झा ने बताया कि नहाय खाय में छठ व्रतियों से सुरंग में फंसे श्रमिकों की सलामती के लिए छठी मैया से प्रार्थना करने का आह्वान भी किया है।

इस तरह होगा चार दिवसीय पर्व
आज नहाय-खाय के बाद व्रत रख घाटों की सफाई व पूजा होगी। शनिवार को खरना वाले दिन निर्जला व्रत रख शाम को खीर का प्रसाद के साथ व्रत खोला जाएगा। रविवार को विभिन्न घाटों पर अस्ताचलगामी यानी ढलते सूर्य को जल अर्पित कर अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि सोमवार को उदीयमान यानी उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह महापर्व संपन्न होगा।

छठ पूजा की मान्यता
आराघर चौक स्थित हनुमान मंदिर के पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट के अनुसार, छठी मैया को सूर्यदेव की बहन माना जाता है। इसलिए पति, संतान, घर में सुख शांति के लिए छठ पूजा के दौरान सूर्य की उपासना की जाती है। मान्यतानुसार, सूर्य की पूजा करने से छठी मैया प्रसन्न होती है। इसमें दो से तीन दिन का निर्जला व्रत रखा जाता है।

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