देहरादून। केंद्र सरकार का खेती-किसानी पर खास फोकस है। इस कड़ी में उत्तराखंड सरकार भी किसानों की आय दोगुना करने के प्रयासों में जुटी है। इसके तहत ठंडे और बहते पानी में होने वाले ट्राउट मछलीपालन को प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने का एक प्रमुख जरिया बनाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए उन जगहों की तलाश हो रही है, जहां पर ट्राउट के लिए उपयुक्त जलवायु हो। वर्तमान में ट्राउट फॉर्मिंग विपणन प्रबंधन सहकारी महासंघ का गठन किया जा चुका है और इसके लिए नई सहकारी समितियां गठित की जा रही हैं।
ट्राउट मछली के लिए खास जलवायु की जरूरत
ट्राउट मछलीपालन के लिए कुछ खास तरह की जलवायु चाहिए। यह मछली 1750 फीट से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होती है और इसके लिए साफ व बहता पानी चाहिए। उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां इसके लिए अनुकूल हैं। वर्तमान में सहकारी महासंघ के अंतर्गत सात जिलों में 17 समितियां ट्राउट फॉर्मिंग का काम कर रही हैं। पिछले वर्ष में उन्हें इससे अच्छा लाभ भी हुआ है।
ट्राउट मछली की मांग ज्यादा
महासंघ के अध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट के अनुसार, पिछले वर्ष हर समिति ने दो से ढाई लाख रुपए का लाभ कमाया है। यह लाभ चारे और बीज की कीमत को हटाने के बाद है। बिष्ट कहते हैं, ट्राउट लगभग 700 रुपया प्रति किलो की दर से आसानी से बिक जाती है। इसकी कीमत 1000 रुपया तक भी पहुंच जाती है। लोकल मार्केट के साथ ही बड़े होटलों में भी इसकी अच्छी मांग है। अब इसके लिए नए स्थान तलाशे जा रहे हैं तथा वहां समितियां गठित की जाएंगी।
स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है ट्राउट मछली
ट्राउट को स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है । खासतौर से हृदय रोगियों को यह लाभ पहुंचाती है। इसमें ओमेगा-6 होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में मदद करता है