शादी, तलाक, उत्‍तराधिकार पर उत्तराखंड में यूसीसी से क्‍या बदल जाएगा? पढ़ें ड्राफ्ट में क्या है प्रावधान

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उत्तराखंड विधानसभा का आज दूसरा दिन है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सदन के सामने यूसीसी (समान नागरिक संहिता) कानून का प्रस्ताव पेश कर दिया है। इस दौरान भाजपा के सभी विधायकों ने सदन में ‘जय श्री राम’ और वंदे मातरम के नारे लगाए।

UCC लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड
कानून बनने के बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। विधानसभा में बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत है। ऐसे में इस विधेयक का पास होना तय माना जा रहा है। बता दें रविवार को इस विधेयक को धामी कैबिनेट की मंज़ूरी मिल गई थी। समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद कई बदलाव किए जाएंगे। पढ़ें क्या हैं यूसीसी में प्रावधान…

ये हैं Uniform civil code में प्रावधान
समान नागरिक संहिता बिल में लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना जरुरी कर दिया गया है। ऐसा न होने पर लड़का और लड़की दोनों के खिलाफ ही कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है।

बिल में लड़का और लड़कियों दोनों को ही विरासत में बराबर का अधिकार देने का प्रस्ताव है।

गोद लिए हुए बच्चों या सरोगेसी द्वारा जन्मे बच्चों में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। उन्हें अन्य की भांति ही जैविक संतान माना जाएगा।

महिला और पुरुष के बीच विवाह तभी हो सकता है जब विवाह के समय दूल्हे या दुल्हन की पहले से कोई जिंदा पति या पत्नी न हो ।

किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी व बच्चों को समान अधिकार दिया गया है। इसके साथ मृतक के माता-पिता को भी उसकी संपत्ति में समान अधिकार दिया गया है।

मुस्लिम समुदाय के भीतर हलाला और इद्दत पर रोक लगाने का प्रस्‍ताव बिल में रखा गया है।

यूसीसी बिल में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को आसान करने का प्रस्‍ताव रखा गया है।

उत्‍तराखंड की 4% जनजातियों को कानून से बाहर रखने का प्रावधान किया गया है।

 

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