उत्तराखंडः गांव वालों को भारी पड़े ढोल के दो बोल, 28 पर FIR दर्ज

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जोशीमठ: उत्तराखंड में धार्मिक आयोजनों में ढोल बजाने की जिम्मेदारी अनुसूचित जाति के ढोल वादकों की होती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन, जोशीमठ के सुभाई-चांडई में इसको लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। गांव के अनुसूचित जाति के लोगों ने सवर्ण जाति के लोगों के खिलाफ पुलिस से शिकायत की है। पुलिस ने इस मामले में 18 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

अनुसूचित जाति के लोगों का आरोप है कि मई माह में गांव में बैसाखी मेला था, जिसमें उनकी जाति के ढोल वादक पुष्कर लाल को ढोल बजाने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन, स्वास्थ्य खराब के कारण वह ढोल नहीं बजा पाया। इससे नाराज गांव के सवर्णों ने पंचायत बुलाकर पुष्कर लाल पर पांच रुपये का जुर्माना लगा दिया।

उनका कहना है कि पुष्कर ने तीन मई को जुर्माना भी भर दिया। इसके बाद भी मामला शांत नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्रामीणों ने गांव में पंचायत बुलाकर अनुसूचित जाति के परिवारों का बहिष्कार करने और जल, जंगल, जमीन से वंचित रखने का निर्णय लिया है। इतना ही नहीं उनको गांव के प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी न भरने देने का फैसला भी लिया गया है। पुलिस ने गांव के 28 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

वहीं, इस मामले में सवर्ण जाति के लोगों का कहना है कि गांव में होने वाले मेले में विवाद को रोकने के लिए पंचायत हर साल निर्णय लेती है कि कोई भी ग्रामीण विवाद करेगा या शराब पीकर आएगा, तो उसपर दंड लगाया जाएगा। यह व्यवस्था सालों से चली आ रही है। इसी व्यवस्था के तहत ढोल वादक पर जुर्माना लगाया गया था। बहिष्कार या हक-हकूकों से वंचित करने का आरोप गलत है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच अधिकारी पुलिस उपाधीक्षक प्रमोद शाह, एसडीएम जोशीमठ चंद्रशेखर वशिष्ट और अन्य अधिकारियों ने गांव में जाकर पीड़ित पक्ष से बात कर उनके बयान दर्ज किए हैं।

सीओ प्रमोद शाह ने बताया कि पीड़ित पक्ष की तहरीर पर कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले की जांच के लिए को गांव में गए थे, प्रथम दृष्टया मामला सही पाया गया है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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