देहरादून: उत्तराखंड सरकार का कहना है कि वह जल जीवन मिशन योजना से सूबे के लोगों के सूखे हलक तर कर देगी। यानी सरकार का दावा है कि इस मिशन से प्रदेश में पेयजल संकट दूर हो जायेगा। खुद प्रदेश के मुखिया जल जीवन मिशन योजना के बारे में कहते हैं कि इस योजना के तहत हर घर में नल होगा और हर नल में जल होगा। यही नहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने राजसखा त्रिवेंद्र रावत की पीठ ठोकते हुए कहते हैं कि वह इस योजना को लागू करने में अन्य सखाओं से दो कदम आगे हैं। पीएम कहते हैं कि त्रिवेंद्र ने जल जीवन मिशन के तहत लोगों को सिर्फ एक रूपये में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उठाया और उन्होंने इस मिशन को धरातल पर तेजी से उतारा है। लेकिन पीएम को कहां पता कि जिस रफ्तार से मुख्यमंत्री योजना को अंजाम देना चाहते हैं उस रफ्तार से पेयजल निगम दौड़ ही नहीं सकेगा। जी हां, निगम की बैकबोन तो खोखली है उसके पास इतने जूनियर इंजीनियर कहाँ है कि वह इस योजना को रफ्तार दे सके। ऐसे में देर सवेर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह की किरकिरी होनी तय है और वह भी तब जब प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए साल भर रह गया हो।
अधिकारियों को हो रही दिक्कत
जल जीवन मिशन की कार्यदायी संस्था पेयजल निगम में कनिष्ठ अभियंताओं यानी जेई की भारी कमी है। ऐसे में इस महत्वकांक्षी योजना में अडचने आनी स्वाभाविक है। यह बात निगम के आलाधिकारी बखूबी समझते हैं। जेई की भारी कमी और मुख्यमंत्री की महत्वकाक्षी योजना होने के कारण निगम के अधिकारी पसोपेश में हैं। अधिकारियों का कहना है कि निगम में कनिष्ठ अभियंताओं के आधे से अधिक पद खाली चल रहे हैं।
निगम के पास जेई की कमी
दरअसल पेयजल निगम में कनिष्ठ अभियंता के कुल 529 पद हैं। इनमें से 329 पद दो वर्ष से रिक्त चल रहे हैं। जो 200 कनिष्ठ अभियंता वर्तमान में निगम में सेवारत हैं उनमें से 50 पदोन्नत होने की राह देख रहे हैं। अगर निगम कनिष्ठ अभियंताओं की भर्ती नहीं करता तो इन 50 अभियंताओं के सहायक अभियंता बनने से संकट और भी गहरा जाएगा। पेयजल निगम के अधिकारियों का कहना है कि इन हालातों से निपटने के लिए शासन को पत्र भेजा है और जल्द से जल्द रिक्त पदों को भरने की मांग की गई है।
आयोग को अधियाचन, मामला कोर्ट में
निगम के अधिकारियों का कहना है कि कनिष्ठ अभियंताओं की कमी को दूर करने के लिए निगम ने फरवरी 2020 में अधीनस्थ चयन सेवा आयोग को अधियाचन भेजा था। जिसमें 121 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति निकाली गई थी। लेकिन, किन्हीं कारणों से यह मामला हाई कोर्ट चला गया। इसके बाद भर्ती प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई है। ऐसे में इन पदों पर अब तक लिखित परीक्षा भी नहीं हो पाई है। पेयजल निगम के प्रबंध निदेशक वीसी पुरोहित का कहना है कि 221 कनिष्ठ अभियंताओं की भर्ती के लिए अधीनस्थ चयन सेवा आयोग में प्रक्रियाधीन है। लिहाजा काम चलाने के लिए आउटसोर्स से 150 जेई रखने की अनुमति शासन से मांगी है।