रूद्रप्रयागः रूद्रप्रयाग जनपद का अरखुण्ड गांव, वेगमती मंदाकिनी के दायें छोर पर टापू पर बसा आम पहाड़ी गांव। पहाड़ी ढ़लान पर छोटे-छोटे पर हरे-भरे खेत और बायीं ओर दिव्य हिमालय। जितना सुंदर इस गांव का भू-दृश्य उतने ही खुशमिज़ाज और मिलनसार यहां के रैवासी। इन दिनों अरखुण्ड बदला-बदला नजर आ रहा है। गांव की गलियों से लेकर घर की मुंडेरे किसी कैनवास से कम नहीं लग रही। कल्पनाओं से भरे सुंदर भित्तिचित्रों से अरखुण्ड किसी परीलोक जैसा लग रहा है। एक से बढ़कर एक सुंदर चित्रों से भरी गांव की दीवारे यहां के युवाओं के हुनर का प्रदर्शन कर रही हैं।
लाॅकडाउन में रंगी दीवारें
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए घोषित देशव्यापी लाॅकडाउन के दौरान अरखुण्ड के युवा भी गांव लौटे। इस दौरान युवाओं ने गांव में कुछ नया करने की ठानी। गांव के युवक मंगल दल के अध्यक्ष प्रशांत राणा और सुमित राणा के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई और तय किया गया कि गांव की जर्जर और बदरंग दीवारों पर सुंदर चित्र उकेरे जाय। फिर क्या था, युवाओं ने ब्रश और पेंट की बाल्टी के साथ गांव का हुलिया बदलना शुरू कर दिया। देखते ही देखते रंगहीन दिखने वाली दीवारें एक ज्वलंत कैनवास में परिवर्तित हो गईं।
तस्वीरें देख चेहरों पर तैरी मुस्कान
युवाओं ने सुंदर-सुंदर चित्र बना कर गांव की फिजा ही बदल डाली। घरों की मुंडेरों पर प्राकृतिक चित्र हर किसी का मन मोह रहे हैं। आने-जाने वाले लोग चित्रों को देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे हैं। अरखुंड गांव के युवाओं के इस अनूठे प्रयास से गांव के बुजुर्ग, महिलाएं व बच्चों के चेहरों पर मुस्कान तैरने लगी। यह खुशी हर किसी को गौरवान्वित करने के लिए काफी है।
महामारी के बहाने
गांव के लोगों का कहना है कि कोरोना महामारी से दुनियां भले ही दहशत में है लेकिन इसके खौफ ने लोगों को प्रकृति के साथ जोड़ने का काम भी किया। गांव के अधिकांश युवा महानगरों में रोजगार की खातिर गये थे लेकिन वे अपनी जड़ों की ओर लौट आय हैंे। उनका हुनर अब स्थानीय लोगों के काम आयेगा। ग्रामीणों का कहना है कि युवाओं की इस पहल ने मुस्कराने का मौका दे दिया है। गांव में युवाओं की भागीदारी को देखकर सब रोमांचित और खुश हैं।